इलाहाबाद : पीटी टीचर क्यों नहीं बन सकते प्रधानाध्यापक, प्रधानाध्यापक का पद सिर्फ शिक्षण कार्य करने वाले अध्यापक को ही ।
अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद ।पीटी या दूसरी प्रयोगात्मक परीक्षा लेने वाले इंटरमीडिएट कॉलेजोें के शिक्षक प्रधानाध्यापक बनने की योग्यता रखते हैं अथवा नहीं इस मुद्दे पर वैधानिक विवाद की स्थिति खड़ी हो गई है। प्रश्न है कि बीपीएड और बीएड डिग्री समान है तो फिर प्रधानाध्यापक बनाने में भेद किस प्रकार से किया जा सकता है। एक पक्ष का इस मामले में मत है कि प्रधानाध्यापक का पद सिर्फ शिक्षण कार्य करने वाले अध्यापक को ही दिया जा सकता है।
विंध्याचल यादव केस में हाईकोर्ट ने भी यही निर्णय दिया है। प्रकरण पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति पीसी त्रिपाठी की पीठ ने कहा कि शारीरिक शिक्षा या प्रैक्टिकल कराने वाले अध्यापक क्या अध्यापक नहीं हैं। अध्यापकों के बीच श्रेणी बनाकर उनके बीच भेद नहीं किया जा सकता है। जब बीपीएड और बीएड की डिग्री एक समान है तो शिक्षकों के बीच भेद कैसे किया जा सकता है। इस मामले में पूर्व न्यायिक निर्णयों में मतभिन्नता है। इसे देखते हुए कोर्ट ने प्रकरण वृहदपीठ को संदर्भित कर दिया है। प्रकरण तीन जजों की पीठ के सामने भेजने के लिए मुख्य न्यायमूर्ति को संदर्भित कर दिया गया है।
विवाद का बिंदु उस स्थिति में सामने आया जब पीटी टीचर को एक इंटर कॉलेज में वरिष्ठता के आधार पर कार्यवाहक प्रधानाचार्य का प्रभार दे दिया गया। उनसे कनिष्ठ शिक्षक ने इस चुनौती देकर कहा कि शिक्षण कार्य करने वाले अध्यापक को भी प्रधानाध्यक का दायित्व दिया जा सकता है।