यूपी के माध्यमिक स्कूलों में लागू होगा एक समान पाठ्यक्रम
धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद। प्रदेश भर के माध्यमिक विद्यालयों में एकसमान शिक्षा लागू करने की तैयारी है। यह कार्य नए शैक्षिक सत्र यानी जुलाई से शुरू करने पर मंथन चल रहा है लेकिन, इतने कम समय में गांवों से लेकर शहर तक के लाखों छात्र-छात्राओं को नए पाठ्यक्रम के अनुसार समय पर पुस्तकें मुहैया करा पाना आसान नहीं है। यूपी बोर्ड ने पाठ्यक्रम बदलाव पर सहमति जता दी है, साथ ही सरकार के अगले निर्देश का इंतजार हो रहा है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा बोर्ड है। साथ ही यहां का पाठ्यक्रम अन्य बोर्ड से बेहतर माना जाता रहा है। हर साल पाठ्यचर्या समिति पाठ्यक्रम में जरूरी बदलाव करती आ रही है। पिछले कुछ वर्षों से सीबीएसई की यूपी बोर्ड में नकल करने की मानों होड़ मची है। वह चाहे शैक्षिक सत्र शुरू करने का समय हो या फिर पाठ्यक्रम में अहम बदलाव।
यूपी बोर्ड में सीबीएसई की तर्ज पर बदलाव किया जा चुका है। अब प्रदेश सरकार ने यूपी बोर्ड का समूचे पाठ्यक्रम को बदलने के संकेत दिये हैं, ताकि सूबे के अधिकांश स्कूलों में एक जैसा पाठ्यक्रम लागू हो जाएगा। ज्ञात हो कि सीबीएसई के स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ाई जा रही हैं, यही किताबें अब यूपी बोर्ड में पढ़वाने की तैयारी है। यह कदम समान शिक्षा की दिशा में खासा अहम होगा।
पिछले साल ही पड़ी बुनियाद
प्रदेश में एकसमान शिक्षा की बुनियाद पिछले वर्ष ही पड़ी है, जिस पर इस साल बड़ी इमारत बनाने की तैयारी है। असल में 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से प्रदेश के विद्या भारती के स्कूलों में यूपी बोर्ड की बजाय सीबीएसई बोर्ड की संबद्धता लेने की ओर हाथ बढ़ाया। इसकी वजह सीबीएसई में संस्कृत व संस्कारों की शिक्षा पर जोर दिया जाना रहा है। मध्य यूपी का रायबरेली समेत पूर्वांचल के कई स्कूलों ने सीबीएसई की मान्यता पाने के लिए आवेदन किया था, उसमें रायबरेली का गोपाल सरस्वती इंटर कालेज अब सीबीएसई से संचालित हो गया है, जबकि यह पहले यूपी बोर्ड से जुड़ा था। प्रदेश सरकार के कदम से बोर्ड बदलने की प्रक्रिया पर अंकुश लगेगा।
आश्रम पद्धति विद्यालय भी इस ओर
यूपी बोर्ड व सीबीएसई में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने के बाद प्रदेश के आश्रम पद्धति विद्यालय भी इसी दिशा में बढऩे की तैयारी कर रहे हैं। समाज कल्याण मंत्री ने इस संबंध में स्पष्ट कर दिया है कि राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में सीबीएसई के पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई होगी। इसके बाद आइसीएसई, संस्कृत व मदरसा आदि विद्यालयों में ही पाठ्यक्रम अलग होगा।
घोषणा पर अमल आसान नहीं
यूपी बोर्ड के स्कूलों में नये शैक्षिक सत्र यानी जुलाई से एनसीईआरटी की किताबें पढ़वाने की तैयारी है। यूपी बोर्ड ने इस पर सहमति जरूर जता दी है, लेकिन यह काम आसान नहीं है। अब तक एनसीईआरटी जितनी किताबें कुल प्रकाशित करता होगा, उससे भी अधिक की जरूरत सिर्फ यूपी बोर्ड में ही है। यदि पिछले वर्ष के हाईस्कूल व इंटर के परीक्षार्थियों की संख्या देखें तो साठ लाख से ऊपर है। कक्षा 9 और 11 में यह संख्या 65 लाख से अधिक है। यही नहीं कक्षा छह, सात व आठ के छात्र-छात्राएं अलग हैं। कुल मिलाकर करीब सवा करोड़ छात्र-छात्राओं को किताबें मुहैया करा पाना आसान काम नहीं होगा।
यूपी बोर्ड के विद्यालय
नाम शासकीय अशासकीय स्ववित्त
हाईस्कूल 1903 4556 16709
इंटर 654 4025 8832