बिजनौर : फटी टाट-पट्टी पर बच्चे पढ़ रहे हैं भविष्य का पाठ
*हाल-ए-स्कूल: टाट न पट्टी, टूटे शौचालय, खराब पड़े हैंडपंप, करोड़ों खर्च पर फिर भी अच्छी टाट-पट्टी नसीब नहीं, गुणवत्तापरक शिक्षा के दावे खोखले*
जागरण टीम *बिजनौर* : हर शैक्षिक सत्र में परिषदीय स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन धरातल पर परिषदीय स्कूलों की स्थिति बद से बदतर है। वर्तमान में जिले के प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूलों में छात्र-छात्रओं को टाट-पट्टी भी नसीब नहीं है। बच्चे अपने घरों से लाए बोरी पर बैठकर शिक्षा लेने को मजबूर हैं। यही नहीं इन परिषदीय स्कूलों में शौचालय व हैंडपंप भी बदहाल हैं। काफी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शौचालय के लिए जंगल या घर का रुख करना पड़ता है। प्यास बुझाने के लिए बच्चे स्कूल से सटे घरों का दरवाजा खटखटाते हैं। न्यायालय के आदेश के बाद परिषदीय स्कूलों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। हल्दौर ब्लाक के ग्राम पूर्व माध्यमिक विद्यालय बख्शीवाला तथा प्राथमिक विद्यालय शहबाजपुर खाना में छात्र जमीन पर बैठकर शिक्षा ले रहे हैं। 1 कहीं बिजली कनेक्शन तो कहीं पंखे व बल्ब नहीं 1 बेसिक विभाग के रिकार्ड पर नजर डालें तो जिले के 60 प्रतिशत स्कूलों में विद्युतीकरण हो गया है, लेकिन इन स्कूलों में भी आधे में आपूर्ति के लिए केबिल नहीं हैं तो आधे में *केबिल से स्कूल तक बिजली जा रही है, लेकिन कमरों में बिजली के पंखे और बल्ब तक नहीं हैं। विद्युतीकरण का कार्य भी क्षतिग्रस्त होने से तार लटक गए हैं। 1हीमपुर दीपा : ग्राम अकबरपुर उर्फ सब्दलपुर में प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र जमीन पर टाट-पट्टी पर बैठकर शिक्षा ले रहे हैं। विद्यालय में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था नहीं है। हैंडपंप के पास मिड-डे मील के अवशेष की गंदगी पड़ी रहती है। शौचालयों में दरवाजा नहीं लगा है और उसकी शौचालय सीट गंदगी से अटी हुई है। ग्राम सैदपुरा उर्फ नाईपुरा में प्राथमिक विद्यालय के एक शौचालय में गंदगी भरी है, जिससे पढ़ाई के दौरान बच्चों को शौचालय के लिए घर या जंगल जाना पड़ता है।1खतरे में शिक्षा की जोत 1धामपुर : मोहल्ला मछली बाजार खातियान में स्थित सरोजनी नायडू प्राथमिक विद्यालय की जर्जर हालत में आज भी कोई खास सुधार नहीं है। विधान सभा चुनावों में इस स्कूल को मतदान केंद्र बनाया गया था। तब यहां बिजली की लाइन ¨खचवाई गई थी। कमरों की हालत बेहद जर्जर है। बच्चे पुराने र्ढे पर ही चटाई पर बैठकर क, ख, ग पढ़ रहे हैं। बिजली ¨खचने के बाद भी स्कूल की छत से बिजली के पंखे लापता हैं। 1शिक्षिका का कहना है कि गर्मी के मौसम में छात्र-छात्रओं को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है। कक्षा तीन की नरगिस, कक्षा दो की नाजिया व कक्षा चार के उवैश ने बताया कि स्कूल में वैसे तो कोई परेशानी नहीं है, लेकिन पंखे न होने से गर्मी में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल के कमरों की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि यहां पर बैठना खतरे से खाली नहीं है। पिछले दिनों कमरे की छत गिर गई थी। 1हालांकि उस दिन स्कूल की छुट्टी थी। अगर स्कूल खुला होता तो कोई बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। स्कूल प्रबंधन चाहे कितनी ही बार अपनी शिकायत विभागीय अधिकारियों से अवगत करा दे,उन्हें इस ओर देखने तक का समय नहीं होता है। बस वह शिकायत फाइल में दर्ज हो जाती है और स्कूल प्रबंधन के पूछने पर यही जवाब मिलता है कि शासन को भेज दिया गया है।जागरण टीम बिजनौर : हर शैक्षिक सत्र में परिषदीय स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन धरातल पर परिषदीय स्कूलों की स्थिति बद से बदतर है। वर्तमान में जिले के प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूलों में छात्र-छात्रओं को टाट-पट्टी भी नसीब नहीं है। बच्चे अपने घरों से लाए बोरी पर बैठकर शिक्षा लेने को मजबूर हैं। यही नहीं इन परिषदीय स्कूलों में शौचालय व हैंडपंप भी बदहाल हैं। काफी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शौचालय के लिए जंगल या घर का रुख करना पड़ता है। प्यास बुझाने के लिए बच्चे स्कूल से सटे घरों का दरवाजा खटखटाते हैं। न्यायालय के आदेश के बाद परिषदीय स्कूलों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। हल्दौर ब्लाक के ग्राम पूर्व माध्यमिक विद्यालय बख्शीवाला तथा प्राथमिक विद्यालय शहबाजपुर खाना में छात्र जमीन पर बैठकर शिक्षा ले रहे हैं। 1 कहीं बिजली कनेक्शन तो कहीं पंखे व बल्ब नहीं 1 बेसिक विभाग के रिकार्ड पर नजर डालें तो जिले के 60 प्रतिशत स्कूलों में विद्युतीकरण हो गया है, लेकिन इन स्कूलों में भी आधे में आपूर्ति के लिए केबिल नहीं हैं तो आधे में केबिल से स्कूल तक बिजली जा रही है, लेकिन कमरों में बिजली के पंखे और बल्ब तक नहीं हैं। विद्युतीकरण का कार्य भी क्षतिग्रस्त होने से तार लटक गए हैं। 1हीमपुर दीपा : ग्राम अकबरपुर उर्फ सब्दलपुर में प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र जमीन पर टाट-पट्टी पर बैठकर शिक्षा ले रहे हैं। विद्यालय में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था नहीं है। हैंडपंप के पास मिड-डे मील के अवशेष की गंदगी पड़ी रहती है। शौचालयों में दरवाजा नहीं लगा है और उसकी शौचालय सीट गंदगी से अटी हुई है। ग्राम सैदपुरा उर्फ नाईपुरा में प्राथमिक विद्यालय के एक शौचालय में गंदगी भरी है, जिससे पढ़ाई के दौरान बच्चों को शौचालय के लिए घर या जंगल जाना पड़ता है।1खतरे में शिक्षा की जोत 1धामपुर : मोहल्ला मछली बाजार खातियान में स्थित सरोजनी नायडू प्राथमिक विद्यालय की जर्जर हालत में आज भी कोई खास सुधार नहीं है। विधान सभा चुनावों में इस स्कूल को मतदान केंद्र बनाया गया था। तब यहां बिजली की लाइन ¨खचवाई गई थी। कमरों की हालत बेहद जर्जर है। बच्चे पुराने र्ढे पर ही चटाई पर बैठकर क, ख, ग पढ़ रहे हैं। बिजली ¨खचने के बाद भी स्कूल की छत से बिजली के पंखे लापता हैं। 1शिक्षिका का कहना है कि गर्मी के मौसम में छात्र-छात्रओं को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है। कक्षा तीन की नरगिस, कक्षा दो की नाजिया व कक्षा चार के उवैश ने बताया कि स्कूल में वैसे तो कोई परेशानी नहीं है, लेकिन पंखे न होने से गर्मी में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल के कमरों की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि यहां पर बैठना खतरे से खाली नहीं है। पिछले दिनों कमरे की छत गिर गई थी। 1हालांकि उस दिन स्कूल की छुट्टी थी। अगर स्कूल खुला होता तो कोई बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। स्कूल प्रबंधन चाहे कितनी ही बार अपनी शिकायत विभागीय अधिकारियों से अवगत करा दे,उन्हें इस ओर देखने तक का समय नहीं होता है। बस वह शिकायत फाइल में दर्ज हो जाती है और स्कूल प्रबंधन के पूछने पर यही जवाब मिलता है कि शासन को भेज दिया गया है।धामपुर के सरोजनी नायडू प्राथमिक विद्यायल में बिना पंखे के जमीन पर बैठक कर पढ़ाई करते बच्चे ’ जागरणधामपुर में क्षतिग्रस्त सरोजनी नायडू प्राथमिक विद्यायल का कक्ष ’ जागरणछात्र नरगिस ’छात्र नाजिया ’छात्र उवैश ’ग्राम शहबाजपुर खाना स्थित प्राथमिक विद्यालय में चटाई पर बैठे बच्चे ’ जागरणग्राम बख्शीवाला स्थित जूनियर हाईस्कूल में चटाई पर बैठे बच्चे ’ जागरणशैक्षिक सत्र में परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के छात्र-छात्रओं के बैठने के लिए कुर्सी-मेज फर्नीचर को 27 करोड़ रुपये की कार्य योजना बनाकर स्वीकृति के लिए बजट में शासन को भेजा गया है। शासन से बजट की स्वीकृति होते ही विद्यालयों में फर्नीचर उपलब्ध करा दिए जाएंगे।1महेश चंद्र, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी