सम्भल : स्कूलों में योग जरूरी लेकिन कराएगा कौन? बिन प्रशिक्षक कैसे होगा पालन
जागरण संवाददाता, सम्भल : प्रदेश स्तर पर परिषदीय स्कूलों के बच्चों को योग कराने का फरमान जारी कर दिया गया है। लेकिन शासन की ओर से शिक्षकों को योग का किसी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। ऐसे में शिक्षक चिंतित हैं कि किस प्रकार स्कूलों में पहुंचकर प्रार्थना के बाद योग की शिक्षा दी जाए।
सत्ता परिवर्तन के बाद परिषदीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार नित नये प्रयोग करने में जुटी हुई है। छह अप्रैल को शासन द्वारा जारी की गई समय सारणी में योग को भी स्थान दिया गया है। इससे न केवल बच्चों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा बल्कि उनका मानसिक विकास भी होगा। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को अब सबसे पहले प्रार्थना कराई जाएगी। राष्ट्रगान के बाद प्रतिदिन योग की कक्षा लगेगी। साथ ही उनके बौद्धिक विकास के लिए प्रतिदिन बाल सभाओं का आयोजन किया जाएगा। इसमें शिक्षक बच्चों को महापुरुषों के जीवन की गाथाएं सुनाकर उन्हें महापुरुषों के पदचिह्नें पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे।
शासन की यह मंशा तो सही है लेकिन इसके अनुरुप कार्य कैसे किया जाएगा। दरअसल बच्चों को योग की शिक्षा देने के लिए शिक्षकों को किसी प्रकार की ट्रेनिंग नहीं दी गई है। अब शिक्षक में हैं कि किस प्रकार बच्चों को योग का प्रशिक्षण दिया जाए।