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सहारनपुर : फीस के पैसे नहीं हैं, तो सरकारी स्कूल में पढ़ाओं अपनी बेटियों को

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सहारनपुर : फीस के पैसे नहीं हैं, तो सरकारी स्कूल में पढ़ाओं अपनी बेटियों को

सहारनपुर। प्रदेश सरकार की नई नीति के इंतजार में स्कूलों में फीस जमा न कराने वाले अभिभावकों और बच्चों को अब स्कूलों ने सार्वजनिक रूप से अपमानित करना प्रारंभ कर दिया है। महानगर के एक नामचीन स्कूल पर आरोप है कि स्कूल की प्रधानाचार्य ने आठवीं की छात्रा को क्लास से बाहर निकालकर जबरन उससे फोन करवाकर अभिभावकों को स्कूल में बुलवाया। अभिभावकों को भी अपमानित करते हुए कहा गया कि यदि उनके पास फीस के पैसे नहीं हैं तो वह अपनी बेटियों को सरकारी स्कूल में पढ़ाएं।

प्रदेश सरकार और प्रशासन द्वारा दावे किए जा रहे हैं कि स्कूलों पर नियंत्रण के लिए वह एक नई नीति बना रहे हैं और इस नीति के अनुसार ही स्कूलों की फीस का निर्धारण होगा और कोई भी स्कूल अभिभावकों से अधिक फीस नहीं वसूल सकेगा। पिछले कुछ समय से जिले के डीएम और सीडीओ द्वारा स्कूलों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के कारण स्कूलों के द्वारा फीस जमा कराने के लिए दबाव नहीं बनाया जा रहा था। लेकिन अब इन अधिकारियों का तबादला होने के बाद स्कूल संचालकों के द्वारा फीस जमा कराने के लिए बच्चों और अभिभावकों पर दबाव बनाया जाने लगा है। न्यू आवास विकास कालोनी निवासी मनोज शर्मा का आरोप है कि उनकी तीन बेटियां नगर के एक नामचीन स्कूल में पढ़ती हैं और बड़ी बेटी कक्षा आठ में हैं। मंगलवार को उक्त स्कूल की प्रधानाचार्य ने उनकी बड़ी बेटी को कक्षा से बाहर निकाल दिया और फोन करवाकर जबरन उन्हें स्कूल में बुलवाया और फीस जमा कराने के लिए कहा, जिस पर जब उन्होंने अपनी मजबूरी बतायी तो प्रधानाचार्य ने कहा कि जब फीस देने के पैसे नहीं हैं तो अपनी बेटियों को सरकारी स्कूल में पढ़ाओ। इसके अलावा भी उन्हें अन्य बातें सुनाकर अपमानित किया गया। मनोज द्वारा इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखा गया है जिसमें उन्होंने कहा है कि फीस के निर्धारण के लिए उन्होंने अभी तक नयी नीति क्यों नहीं जारी की है और यह कब तक जारी होगी तथा स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया और वार्षिक फीस के रुप में ली जाने वाली रकम के प्रयोग की भी विस्तृत जानकारी अभिभावकों को दी जानी चाहिए। उन्होंने लिखा है कि वह पब्लिक स्कूलों में निरंतर बढ़ रही फीस को देने में असमर्थ हैं। यदि सरकार इन स्कूलों पर नियंत्रण नहीं कर पाती है तो सरकार का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का अभियान एक दिखावा है।

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