लखनऊ : शिक्षा विभाग के नोटिस पर छावनी परिषद का पलटवार
जागरण संवाददाता, लखनऊ : मान्यता बिना चल रहे छावनी परिषद के रैंबो स्कूल को लेकर शिक्षा विभाग का नोटिस पहुंच गया। छावनी परिषद ने इसके जवाब में शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया। अपने जवाब में परिषद ने कहा है कि स्कूल रक्षा मंत्रालय के एक्ट के तहत चल रहा है। एक्ट को राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद लागू किया गया है।
दरअसल, छावनी परिषद के कुछ पुरुष निर्वाचित सदस्यों ने पिछली बोर्ड बैठक में कक्षा पांच तक संचालित रैंबो स्कूल को मान्यता न मिलने का मुद्दा उठाया था। इस स्कूल में 560 बच्चे पढ़ते हैं। सालाना 100 बच्चों की वृद्धि हो रही है। इस पर शिक्षा विभाग ने छावनी परिषद को नोटिस देकर मान्यता न मिलने पर स्कूल बंद करने का नोटिस जारी किया था। परिषद ने इसका जवाब तैयार कर लिया है, जिसे बोर्ड अध्यक्ष की मंजूरी के बाद सोमवार को शिक्षा विभाग को भेजा जाएगा। जवाब में परिषद ने कहा है कि छावनी परिषद अधिनियम 2006 की धारा 62 में प्राइमरी शिक्षा प्रदान करना उसकी महत्वपूर्ण ड्यूटी है। छावनी परिषद पर रक्षा मंत्रालय का नियंत्रण है। लिहाजा हर स्कूल के लिए अलग कमेटी नहीं बन सकती। परिषद पहले से चार प्राइमरी स्कूल संचालित कर रहा है। जहां बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है। छावनी परिषद एक स्वायत्त संस्था है। जो कमेटी की तरह निकाय सुविधाओं का प्रबंधन करता है। वहीं स्कूल का निरीक्षण किए बिना नेशनल बिल्डिंग कोड का हवाला देना भी उचित नहीं है। स्कूल के कमरों की क्षमता, उसकी सुरक्षा और बच्चों के खेलने के लिए बड़ा मैदान पहले से ही उपलब्ध है। परिषद 2013 से लगातार शिक्षा विभाग से मान्यता के लिए वहां के चक्कर काट रहा है। लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से यह मामला लटका हुआ है। वहीं अब तक मान्यता के लिए कोई प्रक्रिया न अपनाने की बात कहने वाले बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी का कहना है कि रैंबो स्कूल की मान्यता के लिए उनके पास फाइल आयी थी, लेकिन उसमें मानकों का अभाव था लिहाजा उसे वापस कर दिया गया था।