जर्जर विद्यालय भवनों से नौनिहालों के सिर पर खतरा
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर / ऊंज (भदोही) : शिक्षा की नींव समझे जाने वाली प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मध्याह्न भोजन, नि:शुल्क पुस्तकें, यूनिफार्म सहित अन्य तमाम योजनाओं के नाम पर प्रति वर्ष लाखों-करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है। कानवेंट व नर्सरी विद्यालयों की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों के भवनों को चकाचक करने के लिए विद्युतीकरण तक की योजना संचालित हैं, तो महकमा भी सभी विद्यालयों के अपने भवन होने व अन्य व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होने का दावा कर रहा हो लेकिन वास्तविक धरातल पर स्थिति बिलकुल इतर है। जर्जर अवस्था में पहुंच चुके दर्जनों विद्यालयों के भवन से किसी भी क्षण नौनिहालों के सिर खतरा मंडराते दिख रहा है ¨कतु किसी की नजर इस ओर नहीं पड़ रही है।
बुनियादी शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के जरिए करोड़ों रुपये खर्च कर दिए जा रहे हैं। बच्चों को बैठने के लिए तनिक भी दिक्कत न झेलनी पड़े भवन निर्माण के नाम पर भी पानी की तरह धन बहाया जा रहा है। बावजूद इसके भवनों के निर्माण में हो रही मानक की अनदेखी के चलते नए बनने वाले भवन तक दो चार वर्ष बाद ही जबाब देते दिख रहे हैं। डीघ ब्लाक क्षेत्र के अंतर्गत स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय रामकिसुनपुर बसहीं, पूर्व माध्यमिक विद्यालय गोपालपुर, प्राथमिक विद्यालय सागररायपुर, कोइरौना, छेछुआं सहित कई अन्य विद्यालयों के भवन जर्जर अवस्था में पहुंचकर किसी समय खतरे को दावत देते दिख रहे हैं। इससे भी विषम स्थित प्राथमिक विद्यालय ज्ञानपुर सहित कई अन्य विद्यालयों में निष्प्रयोज्य पड़े जर्जर भवन खड़ा कर रहे हैं। भवन कब धराशाई हो जाय कुछ कहा नहीं जा सकता। लिहाजा जहां बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमेशा खतरा बना रहता है वहीं शिक्षक भी ¨चतित रहते हैं। वैसे इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षाधिकारी प्रकाश नारायण श्रीवास्तव का कहना रहा कि सभी विद्यालय के प्रधानध्यापकों को निर्देशित किया जा चुका है कि जहां जर्जर व निष्प्रयोज्य भवन हैं वह विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक में प्रस्ताव पास कराकर उसे ध्वस्त करा सकते है। साथ ही भवन ध्वस्तीकरण के बाद निकलने वाले सामग्री की नियम के अनुरूप नीलामी संपन्न कराई जा सकती है।