कौशाम्बी : फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल करने वाले तीन शिक्षकों को बीएसए ने शनिवार को बर्खास्त कर दिया
अमर उजाला ब्यूरो कौशाम्बी । फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल करने वाले तीन शिक्षकों को बीएसए ने शनिवार को बर्खास्त कर दिया। इन शिक्षकों के खिलाफ मंझनपुर कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज करा दी गई है। सत्यापन रिपोर्ट आने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। दो शिक्षकों ने ई-आवेदन में मध्यप्रदेश स्टेट ओपेन स्कूल शिक्षा परिषद भोपाल की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के जाली प्रमाण पत्र लगाए थे जबकि एक शिक्षक ने यूपी बोर्ड की मार्कशीट फर्जी लगाई थी। बीएसए की इस कार्रवाई से शिक्षकों में खलबली मची है।
वर्ष 2014 में सहायक अध्यापकों के रिक्त 15 हजार पदों के लिए भर्ती निकली थी। इसके लिए ऑनलाइन ई-आवेदन मांगे गए थे। मंझनपुर तहसील के खोजवापुर निवासी रज्जन कुमार सिंह पुत्र पन्नालाल सिंह, भैलामकदूमपुर के अमरेंद्र सिंह पुत्र मोतीलाल सिंह और बनीखास निवासी जिगर सिंह यादव पुत्र दयाशंकर ने आवेदन किया था। मेरिट के आधार पर रज्जन सिंह को प्राथमिक विद्यालय पथरा कला, अमरेंद्र सिंह को प्राथमिक विद्यालय नौबस्ता और प्राथमिक विद्यालय सिंघवल में जिगर सिंह यादव को तैनात कर दिया गया।
तीनों सहायक अध्यापकों के खिलाफ एक व्यक्ति ने शिकायत की और आरोप लगाया कि इनकी मार्कशीट फर्जी है। बेसिक शिक्षा अधिकारी दलश्रृंगार यादव ने इनके अभिलेखों का सत्यापन कराया तो इनके प्रमाण पत्र फर्जी मिले। रज्जन सिंह और अमरेंद्र सिंह ने मध्यप्रदेश स्टेट ओपेन स्कूल शिक्षा परिषद भोपाल की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की जाली मार्कशीट लगाई थी, जबकि जिगर सिंह यादव ने यूपी बोर्ड हाईस्कूल की फर्जी मार्कशीट लगाई थी। सत्यापन रिपोर्ट आने के बाद शनिवार को बीएसए ने तीनों सहायक अध्यापकों को बर्खास्त कर दिया। तीनों अध्यापकों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है।
फर्जीवाड़े में डायट का खेल उजागर
फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी पाने वाले तीन शिक्षकों की बर्खास्तगी की कार्रवाई ने जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान (डॉयट) मंझनपुर के खेल को उजागर कर दिया है। तीनों सहायक अध्यापकों ने डॉयट से बीटीसी का प्रशिक्षण लिया था। दो साल डॉयट में इनका प्रशिक्षण हुआ लेकिन डॉयट प्राचार्य ने इनका सत्यापन नहीं कराया जबकि चयन होने के बाद प्राथमिकता के आधार पर इनका सत्यापन कराना चाहिए था। बीएसए दलश्रृंगार यादव का कहना है कि डॉयट ने यदि सत्यापन कराया होता तो बर्खास्त शिक्षकों को नौकरी ही न मिल पाती।