इलाहाबाद :कक्षा नौ से 12 तक की किताबें खुले बाजार के हवाले
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : अब चुनिंदा प्रकाशक की किताबों का प्रकाशन नहीं कर सकेंगे। बोर्ड से मान्यताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा नौ से 12 तक की किताबें मुहैया कराने का जिम्मा पहली बार खुले बाजार को सौंपा गया है। इससे निजी प्रकाशक पाठ्यक्रम के अनुसार किताबों को स्वतंत्र रूप से प्रकाशित कर सकेंगे। शासन ने पुस्तकों में प्रयोग होने वाले कागज व प्रिटिंग की गुणवत्ता बनाए रखने को कुछ शर्ते जरूर तय की हैं।1 की ओर से संचालित माध्यमिक विद्यालयों के लिए किताबों का प्रबंध माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से होता रहा है। हर साल बोर्ड के अफसर कुछ विषयों की किताबें प्रकाशित करने के लिए प्रकाशकों का चयन करते रहे हैं। इस बार अन्य वर्षो की अपेक्षा अलग रुख अपनाते हुए बोर्ड ने किताबें मुहैया कराने का जिम्मा खुले बाजार को सौंपने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। पहली जुलाई से शुरू होने वाले शैक्षिक सत्र 2017-18 में कक्षा नौ से लेकर 12 तक की किताबों को परिषद के नियंत्रण से मुक्त करने का आदेश जारी किया गया है। अब निजी प्रकाशक पाठ्यक्रम के अनुसार स्वतंत्र रूप से पुस्तकें प्रकाशित कर सकेंगे। 1प्रकाशक लेंगे अंडरटेकिंग : परिषद सचिव शैल यादव ने बताया कि शासन ने निर्देश दिया है कि बाजार में किताबें मुहैया कराने के इच्छुक प्रकाशकों से अंडरटेकिंग लेने के बाद ही उन्हें पुस्तक प्रकाशन की अनुमति दी जाए। इसके लिए प्रकाशक को 100 रुपये के स्टैंप पर यह लिखकर देना होगा कि वे पुस्तकों के भीतरी पृष्ठों में निर्धारित स्पेसिफिकेशन के कागज 60 जीएसएम वर्जिन पल्प नान रिसाइकिल्ड वाटर मार्क ‘ए’ श्रेणी के मिलों तथा कवर पृष्ठ में 175 जीएसएम के कागज का प्रयोग करेंगे। यह अंडरटेकिंग परिषद कार्यालय में 21 जून की शाम छह बजे तक देनी होगी। सचिव ने बताया कि ऐसा न करने वाले प्रकाशक को ब्लैक लिस्टेड करते हुए कठोर कार्रवाई की जाएगी। 1यह किताबें नियंत्रण से मुक्त : के कक्षा नौ व 10 में हंिदूी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, प्रारंभिक गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान तथा इंटर स्तर में हंिदूी, अंग्रेजी, गणित व अर्थशास्त्र विषय की किताबों को परिषद के नियंत्रण से मुक्त किया गया है। 1समय कम, उपलब्धता चुनौती : की किताबों को भले ही खुले बाजार में सौंप दिया गया है लेकिन, शैक्षिक सत्र शुरू होने में अब चंद दिन ही शेष है। इतने कम समय में करीब साठ लाख छात्र-छात्रओं के लिए बाजार में किताबें उपलब्ध होना बड़ी चुनौती होगी।’>>शासन ने बदली प्रकाशन नीति, पुस्तकें परिषद के नियंत्रण से मुक्त 1’>>अब निजी प्रकाशक पाठ्यक्रम के तहत स्वतंत्र रूप से प्रकाशित करेंगे