दस शिक्षकों की नियुक्तियां अवैध
सीतापुर : 16448 सहायक अध्यापक भर्ती में बीएसए व चयन समिति ने बड़ा खेल किया था। हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद डीएड डिग्री धारक अभ्यर्थियों को शिक्षक बनाकर उपकृत किया गया था। तत्कालीन बीएसए राजेंद्र ¨सह ने दस डीएड प्रशिक्षण अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देकर उन्हें विद्यालय भी आवंटित कर दिए थे। अवैध नियुक्तियों के इस खेल में चयन समिति की भी मूक सहमति थी। 'दैनिक जागरण' के खुलासे के बाद मौजूदा बीएसए ने गड़बड़ी स्वीकारते हुए जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है।
बीते वर्ष सितंबर माह में 16448 शिक्षक भर्ती में सचिव बेसिक शिक्षा ने शासनादेश जारी कर निर्देश दिए थे। जिसमें कहा गया था कि 16 जून 2016 तक बीटीसी, उर्दू बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी व एनसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त डीएड (विशेष शिक्षा) व बीएलएड पास अभ्यर्थियों की काउंसि¨लग कराकर नियुक्ति दी जाए। शासनादेश के विरुद्ध डीएड डिग्री धारकों ने उच्च न्यायालय में रिट दाखिल की थी। जिसमें उच्च न्यायालय ने डीएड अभ्यर्थियों की कांउसि¨लग कराकर चयनित होने वाले अभ्यर्थियों के पद सुरक्षित करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र न जारी करने के आदेश विभाग को दिए थे। चयन समिति की सहमति पर तत्कालीन बीएसए राजेंद्र ¨सह ने शासनादेश व उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए निहित स्वार्थों के चलते दस डीएड अभ्यर्थियों की काउंसि¨लग कराकर उन्हें नियुक्ति पत्र जारी कर दिए थे। इनमें केएम प्रियंका, रामसहाय वर्मा, रचना राठौर, चंद्रवीर ¨सह, प्रमोद चौधरी, ज्ञानेंद्र ¨सह, विपिन कुमार, वीर नरायन, पवन कुमार व स्मृति मिश्रा को नियुक्ति पत्र देते हुए विद्यालयों में तैनात भी कर दिया गया। इस पूरे खेल में पटल सहायक, तत्कालीन बीएसए व चयन समिति के अध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध रही है। बीएसए पन्ना राम ने माना है कि 16448 भर्ती में उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि डीएड अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र न दिया जाए। बीएसए ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में नहीं है। पत्रावलियों की जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।