मिड-डे मील में जांची जाएगी प्रधानों की भूमिका
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : मिड-डे मील को छोड़कर विद्यालय की सभी निधियों के खाता संचालन से ग्राम प्रधानों को पहले ही आउट किया जा चुका है। अब मध्याह्न भोजन में प्रधानों की भूमिका और उनके कार्य निष्पादन की समीक्षा होगी। असहयोग करने वाले प्रधानों ने अपना रवैया न बदला तो एमडीएम से भी उनकी छुट्टी हो सकती है।
परिषदीय विद्यालयों में विकास निधि, यूनीफार्म, लघु मरम्मत व रंगाई-पुताई, निर्माण कार्य आदि सभी मदों में हेडमास्टर के साथ ग्राम प्रधान ही संयुक्त रूप से खाता संचालन करते थे। मगर कुछ वर्षों से इन सभी खातों के संचालन की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंध समिति (एसएमसी) अध्यक्ष को दे दी गई। अब केवल एमडीएम का खाता संचालन अधिकार प्रधान के पास है।
जबकि कई प्रधानाध्यापकों का कहना है कि प्रधानों से व्यवस्था गड़बड़ा रही है। परिवर्तन लागत की चेक पर दस्तखत करने के लिए प्रधान हेडमास्टर को परेशान करते हैं। कुछ प्रधानों द्वारा कमीशन मांगने की भी शिकायत हो चुकी है। अब मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने प्रत्येक ब्लॉक के खराब एमडीएम व्यवस्था वाले पांच-पांच स्कूलों की केस हिस्ट्री मंगाई है। प्राधिकरण समीक्षा करेगा कि स्थिति खराब होने से प्रधान दोषी हैं या प्रधानाध्यापक। मिड-डे मील के प्रभारी खंड शिक्षा अधिकारी बेगीश गोयल ने बताया कि शीघ्र ही ऐसे विद्यालयों का चिह्नांकन कर इन विद्यालयों में एमडीएम की बदहाली के कारणों की रिपोर्ट प्राधिकरण को भेजी जाएगी। सात ग्राम पंचायतों के प्रधानों द्वारा मध्याह्न भोजन में सहयोग न करने की रिपोर्ट जिलाधिकारी को पहले ही भेजी जा चुकी है।