प्रतापगढ़ : जिले के 2960 शिक्षा मित्रों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से धक्का लगा, बेल्हा में 80 फीसद महिला शिक्षामित्र
प्रतापगढ़ : जिले के 2960 शिक्षा मित्रों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से धक्का लगा है। जैसे उनके आगे से थाली हटा ली गई है। जिले में कुल 2960 शिक्षामित्रों की नियुक्ति प्राथमिक विद्यालयों में सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के शासनकाल में हुई थी। उस समय इन्हें सिर्फ 2250 रुपये मानदेय दिया जाता था, वह भी प्रधानों के माध्यम से। समायोजन के बाद इन्हें 39445 रुपये वेतन दिए जाने लगा। जिले में दो बार में सरकार द्वारा 2458 शिक्षा मित्रों को शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया। पहली बार अगस्त 2014 में 1132 व दूसरी बार मई 2015 में 1326 शिक्षामित्रों को समायोजित कर शिक्षक बनाया गया। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात होने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्य किया गया था। इसके बावजूद यूपी सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन में टीईटी की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी। दूरस्थ शिक्षा विधि से उन्हें बीआरसी पर प्रशिक्षण देकर उन्हें शिक्षक बना दिया गया। इसी प्रशिक्षण के आधार पर इन्हें शिक्षक पात्रता श्रेणी में शामिल किया गया है। अभी भी 215 शिक्षामित्र ऐसे हैं जो समायोजित नहीं किए जा सके हैं। स्कूलों में तैनात शिक्षामित्रों में से सर्वाधिक 80 फीसद महिलाएं हैं। समायोजित 2458 शिक्षा मित्रों में सिर्फ 12 फीसद ही टीईटी पास हैं। अभी 88 फीसद समायोजित शिक्षा मित्र टीईटी से वंचित हैं।प्रतापगढ़ : जिले के 2960 शिक्षा मित्रों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से धक्का लगा है। जैसे उनके आगे से थाली हटा ली गई है। जिले में कुल 2960 शिक्षामित्रों की नियुक्ति प्राथमिक विद्यालयों में सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के शासनकाल में हुई थी। उस समय इन्हें सिर्फ 2250 रुपये मानदेय दिया जाता था, वह भी प्रधानों के माध्यम से। समायोजन के बाद इन्हें 39445 रुपये वेतन दिए जाने लगा। जिले में दो बार में सरकार द्वारा 2458 शिक्षा मित्रों को शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया। पहली बार अगस्त 2014 में 1132 व दूसरी बार मई 2015 में 1326 शिक्षामित्रों को समायोजित कर शिक्षक बनाया गया। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात होने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्य किया गया था। इसके बावजूद यूपी सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन में टीईटी की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी। दूरस्थ शिक्षा विधि से उन्हें बीआरसी पर प्रशिक्षण देकर उन्हें शिक्षक बना दिया गया। इसी प्रशिक्षण के आधार पर इन्हें शिक्षक पात्रता श्रेणी में शामिल किया गया है। अभी भी 215 शिक्षामित्र ऐसे हैं जो समायोजित नहीं किए जा सके हैं। स्कूलों में तैनात शिक्षामित्रों में से सर्वाधिक 80 फीसद महिलाएं हैं। समायोजित 2458 शिक्षा मित्रों में सिर्फ 12 फीसद ही टीईटी पास हैं। अभी 88 फीसद समायोजित शिक्षा मित्र टीईटी से वंचित हैं।