सहारनपुर : 50 विद्यालयों की इमारत जर्जर, लाडलों की जान को खतरा
सहारनपुर। प्राथमिक शिक्षा के सुधार के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी परिषदीय विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसु बहा रहे हैं। जिले में 50 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जो जर्जर इमारतों में चल रहे हैैं। शिक्षा विभाग की ओर से इन स्कूलों की ओर से लंबे समय से कोई ध्यान नहीं दिया गया। स्थिति यह हैं कि कई स्कूलों में तो बच्चें भीगते हुए पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
जर्जर भवनों में चल रहे विद्यालयों की संख्या चिलकाना, सरसावा, नकुड़, गंगोह, सढ़ौली कदीम, नानौता और नगर क्षेत्र में ज्यादा हैँ। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय चिलकाना पिछले करीब 50 वर्ष से किराये के कमरों में चल रहा है। इन दोनों स्कूलों में वर्तमान में प्राथमिक कक्षाओं में करीब 162 तथा जूनियर कक्षाओं में 40 छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। स्कूल की छत टूटी पड़ी है। वर्षा का पूरा पानी कमरों के अंदर पहुंचता रहता है। नगर पंचायत तथा स्कूल के अध्यापकों ने स्कूल की हालत के बारे में शिक्षा विभाग को अनेक बार अवगत कराया है। स्थिति यह है कि स्कूल का भवन कभी भी धराशाही हो सकता हैँ। अध्यापकों ने अपने स्तर से रुपये एकत्र कर बांस तथा तिरपाल खरीद कर स्कूल प्रांगण में छप्पर डाल लिया तथा पढ़ाई शुरू कर दी। बरसात तथा सर्दी में छात्र छप्पर नुमा स्कूल में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। वर्षा के चलते स्कूल में जलभराव हो जाता है जिस कारण बच्चों को खड़े होकर पढ़ाई करनी पड़ती है। ऐसे ही स्थिति जिले के अन्य दर्जनों विद्यालयों की है। लेकिन प्रशासन की ओर से आज तक कोई सुध नहीं ली हैँ।
शासन से धनराशि मांगकर जल्द होगा सुधार
- जर्जर इमारतों में चल रहे विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए शासन से धनराशि मांगी जाएगी। धनराशि मिलने ही जर्जर इमारतों की मरम्मत कराई जाएगी।
रामेंद्र सिंह, बीएसए।