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अम्बेडकरनगर : रसोइया मजदूरों का दबाए बैठे 57 लाख, कटेहरी व भीटी क्षेत्र में कार्यरत हैं 950 रसोइया, छह माह से नहीं मिला मानदेय

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अम्बेडकरनगर : रसोइया मजदूरों का दबाए बैठे 57 लाख, कटेहरी व भीटी क्षेत्र में कार्यरत हैं 950 रसोइया, छह माह से नहीं मिला मानदेय

जिम्मेदार का कहना है शिक्षा क्षेत्र के खंड शिक्षा अधिकारी केपी सिंह ने बताया कि अप्रैल माह तक के मानदेय का भुगतान किया जा चुका है। सितंबर तक चार माह का पैसा सरकारी खाते में आ चुका है। प्रत्येक विद्यालयों के संयुक्त खातों में पैसा शीघ्र ही भेज कर समस्या दूर कर दी जाएगी। शिकायत मिलने पर संबंधित विद्यालयों की जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने की दशा में संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

कटेहरी व भीटी क्षेत्र में कार्यरत हैं 950 रसोइया, छह माह से नहीं मिला मानदेय

संसू, भीटी (अंबेडकरनगर) : कटेहरी व भीटी शिक्षा क्षेत्र के करीब साढ़े नौ सौ रसोइयों का लगभग 57 लाख से अधिक मानदेय जिम्मेदार दबाए बैठे हैं। इससे उनकी रोजमर्रा की जरूरतें नहीं पूरा हो पा रही हैं। परेशान रसोइया विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों व प्रधानाचार्यो का चक्कर लगाने को मजबूर हैं।  मध्याह्न भोजन तैयार करने के लिए कटेहरी शिक्षा क्षेत्र में 531 व भीटी में 417 समेत 948 रसोइया विभिन्न विद्यालयों में तैनात हैं। रसोइयों को 11 माह तक प्रतिमाह एक हजार रुपये मानदेय दिया जाता है। उन्हें जून माह का मानदेय देने की व्यवस्था नहीं है। इसी से वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों, बच्चों की पढ़ाई, दवाई व खेती किसानी का काम निपटाते हैं। फूलमती, सुमन, पुष्पा, राज देई, शकुंतला, सिंगारी देवी आदि दर्जनों ने बताया कि उन्हें जनवरी से अब तक छह माह का मानदेय नहीं प्राप्त हो सका है। शासन से उनका मानदेय मध्यान्ह भोजन निधि से ग्राम प्रधान व प्रधानाध्यापक के संयुक्त खाते में भेजा जाता है। उक्त द्वय के द्वारा चेक से रसोइयों को भुगतान किया जाता है। वर्तमान में विद्यालय खुल गए हैं। उन्हें अपने बच्चों का विद्यालयों में दाखिला कराना, कॉपी, किताब, ड्रेस, सिंचाई, खाद, बीज की खरीद व धान की रोपाई करने का काम बाधित है, लेकिन उनकी जेब खाली है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार उक्त के संयुक्त खाते में पैसा भेज दिए जाने की बात कहते हैं। वहीं प्रधान व प्रधानाध्यापकों द्वारा पैसा न प्राप्त होने की बात कह कर रसोइयों को वापस भेज देते हैं। विभाग व सह खातेदारों के टाल-मटोल रवैए के बीच रसोइया उलङो हैं और उनका कार्य अवरुद्ध हैं। इससे उनका परिवार परेशान है।

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