बदायूं : न ड्रेस न किताबें और बस्ता, कैसे हो पढ़ाई, हाल-ए-बेसिक स्कूल - सरकार के सारे दावों की यहां खुल रही पोल
संवाद सहयोगी, बिसौली (बदायूं): न ड्रेस, न बस्ते और पुस्तकें भी आधी अधूरी। इतना ही नहीं एमडीएम के नाम पर सिर्फ खिचड़ी। यह हाल है प्राइमरी शिक्षा का। नगर में स्थित स्कूल प्रांगण में जलभराव है। 1भले ही प्रदेश सरकार प्राइमरी शिक्षा को लेकर तमाम बयान दे लेकिन धरातल पर सभी सरकारी योजनाएं दम तोड़ रही हैं। दस जुलाई होने के बाद भी आज तक स्कूलों में बच्चों के लिए न तो ड्रेस आई है और न ही बस्ते। नगर के प्राइमरी स्कूल में कुछ बच्चे पिछली साल की ड्रेस पहन रहे हैं, वहीं पर फटे पुराने बस्तों में किताबें ला रहे है। इधर स्कूलों में आधी अधूरी पुस्तकें आई हैं। कक्षा 1 और तीन में कलरव, दो में गिरतारा, चार और पांच में परख और परिवेश पुस्तकें आयी नहीं है। कक्षा एक के बच्चे तो पुरानी पुस्तकों से ही काम चला रहे हैं। इसके साथ ही एमडीएम के नाम पर सिर्फ खिचड़ी ही मिलती है। चाहें गांव के स्कूल हो या फिर शहर के। बच्चों को पीले चावल मिलते हैं। कुछ बच्चे तो अपना खाना साथ लाते हैं। 1एक ही प्रांगण में हैं दो जूनियर-एक प्राइमरी स्कूल : नगर के एक प्रांगण में दो जूनियर हाईस्कूल और एक प्राइमरी स्कूल हैं। इन तीनों स्कूलों में लगभग सात सौ बच्चा पढ़ता है। बारिश के दिनों में तो कक्षाओं तक पहुंचने के लिए बच्चे पानी में होकर जा रहे है। चार दिन बारिश होने के बाद आज तक इस प्रांगण में पानी भरा है। बच्चे दीवार पकड़कर निकलते है।1सुरक्षा व्यवस्था न होने से आए दिनों में स्कूलों में होती है चोरियां : नगर में एक ही प्रांगण में तीन स्कूल और सुरक्षा के नाम पर एक भी चौकीदार नहीं। चौकीदार न होने के कारण स्कूलों में में आए दिन चोरी होती है। चोरों ने छुट्टियों के दिनों में बिजली के तार काट लिए। इस कारण कमरों में पंखे ही नहीं चलते हैं। भीषण गर्मी में बच्चे पसीने पसीने हो रहे है। प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों की सुविधा के लिए इंवर्टर की भी व्यवस्था की है लेकिन तार कटने के कारण पंखे चलते ही नहीं।संवाद सहयोगी, बिसौली (बदायूं): न ड्रेस, न बस्ते और पुस्तकें भी आधी अधूरी। इतना ही नहीं एमडीएम के नाम पर सिर्फ खिचड़ी। यह हाल है प्राइमरी शिक्षा का। नगर में स्थित स्कूल प्रांगण में जलभराव है। 1भले ही प्रदेश सरकार प्राइमरी शिक्षा को लेकर तमाम बयान दे लेकिन धरातल पर सभी सरकारी योजनाएं दम तोड़ रही हैं। दस जुलाई होने के बाद भी आज तक स्कूलों में बच्चों के लिए न तो ड्रेस आई है और न ही बस्ते। नगर के प्राइमरी स्कूल में कुछ बच्चे पिछली साल की ड्रेस पहन रहे हैं, वहीं पर फटे पुराने बस्तों में किताबें ला रहे है। इधर स्कूलों में आधी अधूरी पुस्तकें आई हैं। कक्षा 1 और तीन में कलरव, दो में गिरतारा, चार और पांच में परख और परिवेश पुस्तकें आयी नहीं है। कक्षा एक के बच्चे तो पुरानी पुस्तकों से ही काम चला रहे हैं। इसके साथ ही एमडीएम के नाम पर सिर्फ खिचड़ी ही मिलती है। चाहें गांव के स्कूल हो या फिर शहर के। बच्चों को पीले चावल मिलते हैं। कुछ बच्चे तो अपना खाना साथ लाते हैं। 1एक ही प्रांगण में हैं दो जूनियर-एक प्राइमरी स्कूल : नगर के एक प्रांगण में दो जूनियर हाईस्कूल और एक प्राइमरी स्कूल हैं। इन तीनों स्कूलों में लगभग सात सौ बच्चा पढ़ता है। बारिश के दिनों में तो कक्षाओं तक पहुंचने के लिए बच्चे पानी में होकर जा रहे है। चार दिन बारिश होने के बाद आज तक इस प्रांगण में पानी भरा है। बच्चे दीवार पकड़कर निकलते है।1सुरक्षा व्यवस्था न होने से आए दिनों में स्कूलों में होती है चोरियां : नगर में एक ही प्रांगण में तीन स्कूल और सुरक्षा के नाम पर एक भी चौकीदार नहीं। चौकीदार न होने के कारण स्कूलों में में आए दिन चोरी होती है। चोरों ने छुट्टियों के दिनों में बिजली के तार काट लिए। इस कारण कमरों में पंखे ही नहीं चलते हैं। भीषण गर्मी में बच्चे पसीने पसीने हो रहे है। प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों की सुविधा के लिए इंवर्टर की भी व्यवस्था की है लेकिन तार कटने के कारण पंखे चलते ही नहीं।बिसौली : स्कूल में बिना ड्रेस के खड़े बच्चे। स्कूल में हुई कीचड़ और हुआ जलभराव ’ जागरण