परिषदीय विद्यालयों के शौचालय हो गए बदहाल
जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली) : तमाम प्रयासों के बाद भी परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। फिलहाल बात कर रहे हैं शौचालय निर्माण, मरम्मत व उसके उपयोग की। जिम्मेदारान व हुक्मरान व्यवस्था को दुरूस्त कराने को लेकर गंभीर नहीं हैं।
विकास क्षेत्र में 123 प्राथमिक व 53 पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। प्रत्येक विद्यालयों में अलग-अलग शौचालय बने हैं। शौचालय निर्माण में 25 से 40 हजार रुपये खर्च किए गए। शौचालय में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए ¨सटेक्स की टंकी व पाइप लाइन बिछाकर आपूर्ति दी गई। लेकिन शौचालय निर्माण की गुणवत्ता बेहद ही निराशाजनक रही। कमोवेश यही स्थिति ¨सटेक्स की फी¨डग कार्य में हुई। नतीजा यह रहा कि शौचालय अल्प समय में ही निष्प्रयोज्य साबित होने लगे। वहीं पेयजल की आपूर्ति ठप हो गई। कारण ¨सटेक्स की टंकी टूटकर बेकार हो गई। विकास क्षेत्र के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय चकिया सहित विजयपुरवा, नेवाजगंज, बिठवल, मवैया सहित दर्जन भर परिषदीय विद्यालयों को छोड़ सभी विद्यालय के शौचालय शो पीस बनकर रह गए हैं। सबसे खराब स्थिति नक्सल प्रभावित शिकारगंज व इलिया इलाके के परिषदीय विद्यालयों में बने शौचालयों की है। वर्षों से इन शौचालयों में बंद ताले पूरी तरह जकड़ गए हैं। बंद पड़े ताले की चाभी भी गुम हो गई है। दशा यह है कि कहीं शौचालय ध्वस्त पड़े हैं तो कहीं भवन में दरारें आ गईं है। इससे नौनिहाल अव्यवस्थाओं के बीच शिक्षा ग्रहण करने पर मजबूर हैं। सांवर सोत, रसियां, जोगिया, सीताताली, भलुआ बिलौडी, गांधीनगर समेत सैकड़ों विद्यालयों के शौचालय का उपयोग नहीं होने से शिक्षक व नौनिहाल खुले आसमान के नीचे शौच करने को मजबूर हैं। सबसे अधिक परेशानी शिक्षिकाओं व छात्राओं को होती है।
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शौचालयों की दशा वाकई खराब है। शौचालय मरम्मत की जरूरत है। इसके लिए उच्चाधिकारियों सहित शासन को पत्र भेजकर नए सिरे से मरम्मत की मांग की जाएगी।
चंद्रशेखर आजाद, खंड शिक्षा अधिकारी चकिया।