इलाहाबाद : स्कूली बच्चों के ‘आधार’ के कुछ तो मतलब हैं; सरकारी सुविधाएं लेने के लिए परिषदीय स्कूलों में बच्चों का नामांकन और पढ़ाई निजी स्कूलों में।
जासं, इलाहाबाद : सरकारी सुविधाएं लेने के लिए परिषदीय स्कूलों में बच्चों का नामांकन और पढ़ाई निजी स्कूलों में। अब यह खेल ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है। ऐसा कोई आदेश तो अभी नहीं आया है, लेकिन बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के बच्चों के आधार कार्ड जल्द बनवाने के लिए स्कूलों में चल रहे प्रयास के कुछ तो मतलब हैं। परिषदीय स्कूलों के बच्चों को यूनीफार्म, बस्ता से लेकर मिड डे मील तक मुफ्त दिए जाते हैं। ऐसे में मुफ्त मिल रहीं इन सुविधाओं को पाने के लिए अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन तो करा देते हैं, लेकिन उन्हें स्कूल न भेजकर उनसे काम करवाते हैं, ताकि कुछ आमदनी हो सके। इसके इतर, कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं, जो बच्चों को निजी स्कूल में भेजते हैं। अब इन स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति दुरुस्त करने के साथ स्कूलों में बच्चों के आधार कार्ड बनवाने पर फोकस किया है। बच्चों के आधार कार्ड बन जाने के बाद सरकार गोरखधंधे की खिड़कियां बंद कर देगी। बीएसए संजय कुशवाहा ने बताया कि आधार कार्ड का मुफ्त यूनीफार्म एवं पुस्तक वितरण के कोई लेना देना नहीं है। सभी विद्यालयों में बच्चों के आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश बीईओ को जरूर दिए गए हैं।स्कूली बच्चों के ‘आधार’ के कुछ तो मतलब हैं ।