इलाहाबाद : ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) व दिशा छात्र संगठन ने यूजीसी-नेट की परीक्षा साल में एक बार कराए जाने का विरोध
इलाहाबाद : ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) व दिशा छात्र संगठन ने यूजीसी-नेट की परीक्षा साल में एक बार कराए जाने का विरोध किया है। इसी कड़ी में आइसा ने बुधवार को सीबीएसई कार्यालय का घेराव किया और इस फैसले को वापस लेने की मांग की।
पहले यह परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाती थी। सीबीएसई ने जुलाई 2017 में कराई जाने वाली नेट की परीक्षा को निरस्त करते हुए नेट की अगली परीक्षा 19 नवंबर 2017 को कराने का नोटीफिकेशन जारी कर दिया।
सीबीएसई ने पहले ही इस परीक्षा को साल में एक बार करवाने का प्रस्ताव रखा था। हालिया घटनाक्रम इस प्रस्ताव पर अमल का नतीजा है। इतना ही नहीं, नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली संख्या को भी घटा दिया गया है। पहले जहां परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के 15 प्रतिशत को उत्तीर्ण कराया जाता था, अब उसे घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है। यह केंद्र सरकार की शोध से आम छात्रों को दूर करने की साजिश है। 12 जून 2017 के नये नोटीफिकेशन के अनुसार विश्वविद्यालयों को 3 कैटेगरी में बांटकर, कैटेगरी-3 के विश्वविद्यालयों में यह बाध्यता लगा दी गई कि पीएचडी में दाखिला लेने के लिए नेट उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। यह आम छात्रों के साथ अन्याय है। इसके पहले अक्टूबर 2015 में यूजीसी ने नॉननेट स्कॉलरशिप पर रोक लगा दी थी। जिसके खिलाफ देशभर में आक्यूपाई यूजीसी आन्दोलन के तहत छात्र सड़कों पर उतरे थे। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के साथ ही यूजीसी के बजट में 55 प्रतिशत की कटौती कर दी थी। अब छात्र इसके खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे।