प्रतापगढ़ : नहीं हैं शिक्षक, कैसे मिले ज्ञान, सरकार भले ही कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में गरीब बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण कराने के लिए फिक्रमंद
रानीगंज, प्रतापगढ़ : सरकार भले ही कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में गरीब बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण कराने के लिए फिक्रमंद है, पर रामापुर स्कूल में तो प्रमुख विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। इससे पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। इस ओर विभाग को देखने की फुर्सत नहीं है। इससे अभिभावकों में भी आक्रोश है। विकास खंड गौरा में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय जुलाई 2011 से चालू है। पहले तो यह विद्यालय भवन के अभाव में करीब दो साल तक बीआरसी केंद्र संडिला में चला था। रामापुर गांव में जमीन मिलने के बाद अक्टूबर 2013 में भवन बनकर तैयार हुआ और विद्यालय भी यहां निजी भवन में चलने लगा। यहां बेहतर भवन के साथ सारी सुविधाएं चाक चौबंद हैं, लेकिन छात्रओं को तालीम देने वाले प्रमुख विषयों के शिक्षक नहीं है। विद्यालय में गणित अंग्रेजी जैसे प्रमुख विषयों के साथ उर्दू, संगीत विषयों के टीचर नहीं हैं। वैसे तो इस विद्यालय में वार्डेन सुमन सिंह सहित पांच शिक्षक हैं, लेकिन गणित अंग्रेजी जैसे विषयों के टीचर कई सालों से नहीं हैं। इससे छात्रओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पठन पाठन का माहौल किस र्ढे पर चल रहा है। विद्यालय में कुल 100 छात्रओं की सीट है। यहां शत प्रतिशत नामांकन भी हो चुका है, लेकिन अब इन छात्रओं का भविष्य अधर में है। विद्यालय में खेल के मैदान का भी अभाव है। विद्यालय में शिक्षक की कमी पूरी किए जाने की मांग कई वर्षो से की जा रही है, लेकिन पूरा नहीं हो पा रहा है। वार्डेन सुमन सिंह का कहना है कि गणित, अंग्रेजी, उर्दू, संगीत के टीचरों की कमी है। इसकी रिपोर्ट भेजी गई है।रानीगंज, प्रतापगढ़ : सरकार भले ही कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में गरीब बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण कराने के लिए फिक्रमंद है, पर रामापुर स्कूल में तो प्रमुख विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। इससे पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। इस ओर विभाग को देखने की फुर्सत नहीं है। इससे अभिभावकों में भी आक्रोश है। विकास खंड गौरा में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय जुलाई 2011 से चालू है। पहले तो यह विद्यालय भवन के अभाव में करीब दो साल तक बीआरसी केंद्र संडिला में चला था। रामापुर गांव में जमीन मिलने के बाद अक्टूबर 2013 में भवन बनकर तैयार हुआ और विद्यालय भी यहां निजी भवन में चलने लगा। यहां बेहतर भवन के साथ सारी सुविधाएं चाक चौबंद हैं, लेकिन छात्रओं को तालीम देने वाले प्रमुख विषयों के शिक्षक नहीं है। विद्यालय में गणित अंग्रेजी जैसे प्रमुख विषयों के साथ उर्दू, संगीत विषयों के टीचर नहीं हैं। वैसे तो इस विद्यालय में वार्डेन सुमन सिंह सहित पांच शिक्षक हैं, लेकिन गणित अंग्रेजी जैसे विषयों के टीचर कई सालों से नहीं हैं। इससे छात्रओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पठन पाठन का माहौल किस र्ढे पर चल रहा है। विद्यालय में कुल 100 छात्रओं की सीट है। यहां शत प्रतिशत नामांकन भी हो चुका है, लेकिन अब इन छात्रओं का भविष्य अधर में है। विद्यालय में खेल के मैदान का भी अभाव है। विद्यालय में शिक्षक की कमी पूरी किए जाने की मांग कई वर्षो से की जा रही है, लेकिन पूरा नहीं हो पा रहा है। वार्डेन सुमन सिंह का कहना है कि गणित, अंग्रेजी, उर्दू, संगीत के टीचरों की कमी है। इसकी रिपोर्ट भेजी गई है।