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ललितपुर : जिले में 30 शिक्षण केन्द्र खोल करोड़ों की धोखाधड़ी उजागर

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जिले में 30 शिक्षण केन्द्र खोल करोड़ों की धोखाधड़ी उजागर

ललितपुर ब्यूरो : जिले के ग्रामीण इलाकों में 30 शिक्षण केन्द्र खोलकर सैकड़ों बेरोजगार युवक-युवतियों से करोड़ों की धोखाधड़ी का केस उजागर हुआ है। जनपद मुख्यालय पर खोले गए कार्यालय में बेरोजगारों से 20 से 40 हजार रुपये लेकर अध्यापक, सहायक अध्यापक और कम्प्यूटर शिक्षक के पदों पर भर्तिया कर ली गई। चयनित अभ्यर्थियों को 3 माह बाद पहली वेतन के साथ ही जमा करायी गई धनराशि वापस दिए जाने का झाँसा दिया गया। बाद में ़िजला समन्वयक ने ही धोखे का शिकार बनने की बात कहकर बेरोजगारों को अचम्भित कर दिया। फिलहाल, ठगी का शिकार बने युवक-युवतियों ने पुलिस अधीक्षक से जालसाजों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराकर रुपये वापस दिलाए जाने की माँग की है।

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ऐसे धोखाधड़ी का शिकार बने युवक-युवतियाँ

जनपद मुख्यालय स्थित स्टेशन रोड पर एक किराये की बिल्डिग में मान्यवर काशीराम एजुकेशनल ट्रस्ट के नाम से वर्ष 2016 में जनपद कार्यालय खोला गया, जिसे एक स्थानीय जिला समन्वयक एवं अन्य कर्मचारी संचालित कर रहे थे। ट्रस्ट को भारत सरकार का उपक्रम बताते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल न जा सकने वाले लड़के एवं लड़कियों को निशुल्क शिक्षा दिलाने के लिए शिक्षण केन्द्र का संचालन कर उसमें ग्राम समन्वयक, अध्यापक, सहायक अध्यापक, कम्प्यूटर शिक्षण एवं चपरासी पदों पर योग्य उम्मीदवारों की नियुक्तिया की गई। ग्राम समन्वयक का वेतन 8000 रुपये, अध्यापक को 12000, सहायक अध्यापक, कम्प्यूटर शिक्षक को 12000, कम्प्यूटर शिक्षक को 8000 एवं चपरासी को 3000 रुपये प्रतिमाह दिए जाने का प्रावधान किया गया था। चपरासी पद को छोड़कर अन्य पदों पर चयनित अभ्यर्थियों से 20 से 40 ह़जार रुपये ऩकद व डिमाण्ड ड्राफ्ट के रूप में रुपये जमा करा लिए गए। चयनित अभ्यर्थियों को बताया गया कि 3 महीने बाद पहली वेतन के साथ ही उनकी जमा धनराशि भी वापस कर दी जाएगी। इस तरह, ़िजले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में 30 शिक्षण केन्द्र संचालित किए गए। चयनित युवक-युवतियों ने तीन महीने तक सेवाएं दीं। निर्धारित समयावधि गुजरने के बाद किसी को न तो वेतन मिला और न ही जमा की गई धनराशि वापस की गई। ़िजला समन्वयक से सम्पर्क साधने पर उन्हे लगातार टरकाया जाने लगा। फिर जनपद मुख्यालय का कार्यालय भी बन्द कर दिया गया। स्थानीय जिला समन्वयक ने बेरोजगार युवक-युवतियों को यह कहकर चौंका दिया कि वह खुद कथित संस्था से जुड़े लोगों की धोखाधड़ी का शिकार बन गया।

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भुक्तभोगी पहुँचे एसपी दरबार, एफआइआर दर्ज कराने की माँग

शनिवार को एकत्रित हुए भुक्तभोगी बेरोजगार युवक-युवतियों ने पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देकर जिला समन्वयक समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराकर जमा करायी गई धनराशि वापस दिलाए जाने की माग की है। इस मौके पर प्रीति कुशवाहा, पूनम, कृष्णा यादव, रामप्रसाद सेन, विमला सेन, संजीव जैन, मोहनी जैन, प्रवेश सेन, जसरथ, जितेन्द्र यादव, राघवेन्द्र प्रताप, हनुमत राजपूत, आबिद खान, आशाराम, दीपक कुशवाहा, रोहित कुशवाहा, संजीव नामदेव, सत्यम आदि मौजूद रहे।

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जिला समन्वयक ने खड़े किए हाथ, एडीजी कानपुर की शरण ली

धोखाधड़ी के आरोपों में घिरे सिविल लाइन्स निवासी देवराज कुशवाहा ने अपर पुलिस महानिदेशक कानपुर जोन अविनाश चन्द्र को प्रार्थना पत्र देकर बताया कि वर्ष 2016 में उसकी मुलाकात लखनऊ में जिला बस्ती के युवक से हुई थी। युवक ने उसे मान्यवर काशीराम एजुकेशनल ट्रस्ट को भारत सरकार का उपक्रम बताते हुए लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की विज्ञप्ति दिखाई, जिसमें प्रमुख सचिव राजकीय ग्रामीण एवं शैक्षणिक कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल न सकने वाले लड़के-लड़कियों को शिक्षा प्रदान कराने के लिए जनपद समन्वयक, अध्यापक, सहायक अध्यापक व कम्प्यूटर शिक्षण के लिए योग्य उम्मीदवारों को नियुक्त करने एवं शिक्षण केन्द्र संचालन के लिए फ्रेंचाइजी देने का प्रस्ताव दिया गया था। विश्वास में लेकर उसे संस्था के कथित डायरेक्टर से मिलवाया गया। आरोपियों के झाँसे में आकर शिक्षण केन्द्र संचालन के राजी हो गया, जिसका बाकायदा अग्रिमेण्ट कराया गया था। 55 चयनित युवकों से कुल 11 लाख रुपये नकद दिए गए, इसके बाद डीडी के माध्यम से कुल एक करोड़ 32 लाख रुपये दो सौ पन्द्रह रुपये लखनऊ की संस्था को भेज दिए। कथित योजना के तहत 30 शिक्षा केन्द्र खोलकर 125 लोगों की नियुक्ति करके किराये का भवन, फर्नीचर लेकर 15 नवम्बर 2016 से शिक्षण कार्य संचालित करा दिया। अनुबन्ध के मुताबिक डिमाण्ड ड्राफ्ट की राशि तीन माह में वापस होनी थी। वेतन भी क्षेत्रीय कार्यालय से प्राप्त होना था। सम्पर्क करने पर भारत सरकार की योजना बताते हुए अनुमोदन स्वीकृति सम्बन्धी प्रक्रिया का वास्ता देकर टरकाया गया। नियुक्त किए गए अध्यापकों का वेतन 5500000 रुपये बना था। डायरेक्टर से सम्पर्क साधने कहा गया कि मानक के अनुसार केन्द्र कम है। 15 केन्द्र और खोलने पर बजट आएगा, फिर चुनाव आचार संहिता का वास्ता देकर टरकाया जाने लगा। इसके बाद दो चेक क्रमश: आठ लाख व सात लाख के दिए गए, जो खाते में डालने पर अस्वीकृत हो गए। जून 2017 तक क्लीयर होने का आश्वासन दिया गया था, उसके बाद किसी से सम्पर्क नहीं हुआ। इस तरह नामजद आरोपियों ने गिरोह बनाकर सुनियोजित षड़यन्त्र के तहत फर्जी ट्रस्ट व कम्पनि के नाम पर, जो कहीं पंजीकृत नहीं है, उसे धोखाधड़ी का शिकार बनाया है।

एडीजी ने एसपी को दिए यह निर्देश

अपर पुलिस महानिदेशक कानपुर जोन अविनाश चन्द्र ने पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि मामला धोखाधड़ी का है। क्षेत्राधिकारी से जाच कराकर विपक्षियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराकर दोषियों पर प्रभावी आवश्यक कराएं।

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इलाहाबाद और बाँदा में भी धोखाधड़ी के केस

देवराज कुशवाहा ने एडीजी कानपुर को दिए गए प्रार्थना पत्र में खुलासा किया है कि संस्था के कथित डायरेक्टर के खिलाफ इलाहाबाद, बाँदा जिले में धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज है, जिनमें गिरफ्तार होकर जेल भी जा चुका है। एक मुकदमे में उच्च न्यायालय से जमानत पर रिहा चल रहा है और अब साक्षी फर्टिलाइजर कम्पनि के नाम पर पूरे प्रदेश में धोखाधड़ी व ठगी का जाल फैला रहा है।

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