लखनऊ : शिक्षामित्रों के लिए सपाइयों ने उठाई आवाज, कहा- सरकार गंभीरता से नहीं ले रही उनकी मांगे
ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ । समाजवादी पार्टी ने बुधवार को राज्यपाल को ज्ञापन देकर शिक्षामित्रों की मांगों को गंभीरता से नहीं लेने, बाढ़ पीड़ितों के लिए उचित इंतजाम न करने और सिपाहियों समेत कई भर्तियों को रोकने का मुद्दा उठाया। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन के नेतृत्व में सपा विधायकों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल राम नाईक को ज्ञापन सौंपकर उनसे गंभीर समस्याओं का समाधान कराने में हस्तक्षेप का अनुरोध किया।
सपा नेताओं ने कहा कि भाजपा नेता सत्ता के दम पर सपा के निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्षों को हटाने में जुटे हैं। औरैया जिला पंचायत अध्यक्ष और सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज में ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के मामले में पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों ने एकतरफा भूमिका निभाई।
पुलिस ने भाजपा नेताओं के दबाव में सपा के जिला पंचायत व बीडीसी सदस्यों का उत्पीड़न किया। उनके खिलाफ बलात्कार जैसे मामलों में फर्जी मुकदमे दर्ज करा दिए। ज्ञापन देने वालों में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, पूर्व मंत्री बलराम सिंह यादव, राजेंद्र चौधरी, मनोज पांडेय, आनंद भदौरिया समेत करीब 30 विधायक व एमएलसी शामिल थे।
*बर्बाद न हो शिक्षामित्रों का भविष्य*
सपा नेताओं ने कहा कि शिक्षामित्र 21 अगस्त से धरने पर बैठे हैं। कई शिक्षामित्रों ने आत्महत्या कर ली। सरकार उनके मामले में गंभीरतापूर्वक निर्णय नहीं ले रही है। उन्होंने राज्यपाल से इस प्रकरण में दखल देने का आग्रह किया ताकि शिक्षामित्रों का भविष्य बर्बाद न हो। कहा कि चौकीदार, रसोइयों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों पर सरकार ने विचार नहीं किया तो अशांति पैदा हो सकती है।
*रोजगार छीन रही सरकार, नौजवानों से खिलवाड़*
सपा डेलीगेशन ने कहा कि भाजपा सरकार नौकरी देने के बजाय रोजगार छीन रही है। अखिलेश यादव सरकार में 35 हजार सिपाहियों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो गई थी, परिणाम तैयार हो गया था। मौजूदा सरकार मेरिट आधारित चयन को निरस्त करने की साजिश कर रही है। जल निगम में चयनित अभ्यर्थियों की जॉइनिंग नहीं कराई जा रही।
शारीरिक शिक्षा अनुदेशकों के 32 हजार पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी आदेश जारी नहीं कराए जा रहे। 12 हजार बीटीसी प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की काउंसलिंग पूरी हो गई थी लेकिन परिणाम रोक रखा है। चार हजार उर्दू मोअल्लिम टीचर्स के चयन की प्रक्रिया पिछली सरकार में पूरी हो गई थी, लेकिन आदेश जारी नहीं किए जा रहे। वित्तविहीन शिक्षकों के मानदेय के भुगतान के लिए 200 करोड़ रुपये बजट जारी कर दिया गया था लेकिन इस व्यवस्था को समाप्त कर भाजपा सरकार वित्तविहीन शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है।