इलाहाबाद : कॉपियां जलाने वालों को देना होगा जवाब, किसी मामले का वाद न्यायालय में लंबित है तो याचिका का अंतिम रूप से निर्णय होने तक चयन पत्रवलियां सुरक्षित रखने के निर्देश
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की प्रस्तावित सीबीआइ जांच में कॉपियां जलाने का प्रकरण तूल पकड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि यदि किसी मामले का वाद न्यायालय में लंबित है तो याचिका का अंतिम रूप से निर्णय होने तक चयन पत्रवलियां सुरक्षित रखने के निर्देश हैं।
यह बात आयोग आरटीआइ के जवाब में स्वीकार किया है। साथ ही पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल की लगभग सभी भर्तियों की सुनवाई कोर्ट में चल रही है, फिर भी आयोग ने तय समय सीमा पूरी होने के बाद कॉपियां जलाई हैं। उप्र लोकसेवा आयोग से सूचना के अधिकार अधिनियम के जरिये प्रतियोगियों ने उस कार्यालय आदेश की छायाप्रति मांगी गई थी, जिसमें मुकदमों के लंबित होने पर कॉपियों का संरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। साथ ही अध्यक्ष के उन विशेषाधिकारों की भी जानकारी मांगी गई, जिसके माध्यम से अध्यक्ष अधिनियम व कार्यालय आदेश आदि में संशोधन कर सकते हैं। आयोग ने प्रतियोगी अवनीश पाण्डेय को 1964 का वह कार्यालय आदेश उपलब्ध कराया है जिसमें कॉपियों को वाद के दौरान संरक्षित रखने का प्रावधान है। इस सूचना में उन सभी अभिलेखों का भी उल्लेख है जिसको समय-समय पर नष्ट करने का प्रावधान किया गया है। इसी में स्पष्ट किया गया है कि याचिका/वाद लंबित रहने की स्थिति में न्यायालय से अंतिम रूप से निस्तारण होने तक संबंधित अभिलेख चयन पत्रवली व आवेदन पत्र आदि सुरक्षित रखे जाएंगे। न्यायालय के आदेश का अनुपालन हो जाने के बाद ही निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ऐसे अभिलेख नष्ट किए जाएंगे। इस सूचना से यह बाद भी स्पष्ट हो रहा है कि कॉपियों को अंतिम रूप से सचिव की अनुमति से ही नष्ट किया जाएगा। लोक सेवा आयोग के पूर्व सचिव अटल कुमार राय ने विज्ञप्ति जारी कर यह बताया था कि 1964 के नियम, संसोधित नियम 2009- 2010 के नियमानुसार कॉपियों के विनष्ट करने का कार्य परिणाम आने के एक वर्ष बाद कर दिया जाएगा, किंतु यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि वाद की स्थिति में आयोग का क्या निर्णय होगा? आयोग ने जनसूचना में अध्यक्ष के उस विशेषाधिकार का उल्लेख नहीं किया है जिसमें समय समय पर उन्हें नियमों में संशोधन की शक्ति प्राप्त है, बल्कि यह आयोग अधिनियम 1985 का अनुपालन करने को कहा गया है।
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग की प्रस्तावित सीबीआइ जांच में कॉपियां जलाने का प्रकरण तूल पकड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि यदि किसी मामले का वाद न्यायालय में लंबित है तो याचिका का अंतिम रूप से निर्णय होने तक चयन पत्रवलियां सुरक्षित रखने के निर्देश हैं।
यह बात आयोग आरटीआइ के जवाब में स्वीकार किया है। साथ ही पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल की लगभग सभी भर्तियों की सुनवाई कोर्ट में चल रही है, फिर भी आयोग ने तय समय सीमा पूरी होने के बाद कॉपियां जलाई हैं। उप्र लोकसेवा आयोग से सूचना के अधिकार अधिनियम के जरिये प्रतियोगियों ने उस कार्यालय आदेश की छायाप्रति मांगी गई थी, जिसमें मुकदमों के लंबित होने पर कॉपियों का संरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। साथ ही अध्यक्ष के उन विशेषाधिकारों की भी जानकारी मांगी गई, जिसके माध्यम से अध्यक्ष अधिनियम व कार्यालय आदेश आदि में संशोधन कर सकते हैं। आयोग ने प्रतियोगी अवनीश पाण्डेय को 1964 का वह कार्यालय आदेश उपलब्ध कराया है जिसमें कॉपियों को वाद के दौरान संरक्षित रखने का प्रावधान है। इस सूचना में उन सभी अभिलेखों का भी उल्लेख है जिसको समय-समय पर नष्ट करने का प्रावधान किया गया है। इसी में स्पष्ट किया गया है कि याचिका/वाद लंबित रहने की स्थिति में न्यायालय से अंतिम रूप से निस्तारण होने तक संबंधित अभिलेख चयन पत्रवली व आवेदन पत्र आदि सुरक्षित रखे जाएंगे। न्यायालय के आदेश का अनुपालन हो जाने के बाद ही निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ऐसे अभिलेख नष्ट किए जाएंगे। इस सूचना से यह बाद भी स्पष्ट हो रहा है कि कॉपियों को अंतिम रूप से सचिव की अनुमति से ही नष्ट किया जाएगा। लोक सेवा आयोग के पूर्व सचिव अटल कुमार राय ने विज्ञप्ति जारी कर यह बताया था कि 1964 के नियम, संसोधित नियम 2009- 2010 के नियमानुसार कॉपियों के विनष्ट करने का कार्य परिणाम आने के एक वर्ष बाद कर दिया जाएगा, किंतु यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि वाद की स्थिति में आयोग का क्या निर्णय होगा? आयोग ने जनसूचना में अध्यक्ष के उस विशेषाधिकार का उल्लेख नहीं किया है जिसमें समय समय पर उन्हें नियमों में संशोधन की शक्ति प्राप्त है, बल्कि यह आयोग अधिनियम 1985 का अनुपालन करने को कहा गया है।
परीक्षा परिणामों की जांच के दौरान तत्कालीन सचिव होंगे घेरे में
आयोग के मूल तथा संशोधित नियमों से स्पष्ट है कि वाद की स्थिति में कॉपियों को संरक्षित रखा जाएगा, उच्च न्यायालय इलाहाबाद में तीन जनहित याचिकाओं के माध्यम से अनिल यादव कार्यकाल के परीक्षा परिणामों की जांच की मांग की गई है। साथ ही प्रतियोगियों ने लगभग हर परीक्षा परिणाम में अनियमितताओं को कोर्ट में चुनौती दी गई है। ऐसी स्थिति में यदि किसी परीक्षा की कॉपियों को जलाया गया होगा तो तत्कालीन सचिव कोर्ट की अवमानना व भ्रष्टाचार छिपाने के आरोपी हो सकते हैं।