इलाहाबाद : केंद्र सरकार ने उन नियम-कानूनों को खत्म किया या बदल दिया है, जो आज के दौर में उपयोग में नहीं है, महिला-पुरुष का संवर्ग एक, पद बरकरार
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद । केंद्र सरकार ने उन नियम-कानूनों को खत्म किया या बदल दिया है, जो आज के दौर में उपयोग में नहीं है। प्रदेश में ऐसे पदों की अब भी भरमार है, जिन पर बड़े अफसरों की तैनाती जरूर हो रही है लेकिन, उनके पास कुछ भी करने का अधिकार नहीं है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने ये पद अफसरों को मानो दंडित करने या सेवानिवृत्त होने के लिए सुरक्षित कर दिया है। खास बात यह है कि इन पदों पर प्रदेश के अहम अफसरों की तैनाती रही है, फिर भी न पद खत्म हुए और दायित्व बढ़े।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में 1990 के पहले तक महिला और पुरुष अफसरों का अलग-अलग संवर्ग रहा है। क्षेत्रीय स्तर पर रीजनल इंस्पेक्टर गल्र्स स्कूल (आरआइजीएस) और मंडल स्तर पर डिप्टी डायरेक्टर की तैनाती होती रही है। उसी कड़ी में शिक्षा निदेशालय स्तर पर अपर शिक्षा निदेशक (महिला) का पद बना था। अफसरों के संवर्ग का एका होने पर आरआइजीएस का पद डीडीआर में व डिप्टी डायरेक्टर का पद संयुक्त शिक्षा निदेशक यानी जेडी में बदल गया लेकिन, ऊपर स्तर शिक्षा निदेशालय में अपर शिक्षा निदेशक महिला का पद अब भी बरकरार है। पहले इस पद पर महिला अधिकारी की ही नियुक्ति होती थी लेकिन, संवर्ग एक होने के बाद पुरुष व महिला दोनों तैनाती पाने लगे।
खास बात यह है कि अपर शिक्षा निदेशक स्तर के इस पद के अफसर पास जिम्मेदारी कोई नहीं है, छिटपुट कार्य अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक कभी-कभी तय कर देते रहे हैं। बीते दिसंबर 2016 तक इस पद पर उत्तम गुलाटी तैनात रही और सेवानिवृत्त हो गईं। अब यूपी बोर्ड की पूर्व सचिव शैल यादव को इसी पद पर नियुक्ति दी गई है, उन्हें भी अक्टूबर में सेवानिवृत्त होना है। यही नहीं, माध्यमिक शिक्षा के कई अहम पदों समेत शिक्षा निदेशक रहे वासुदेव यादव तक इस पद पर रह चुके हैं, फिर भी पद न खत्म हो सका और न ही इसे कोई दायित्व देने की पहल हुई। निदेशालय में लिपिकों के तबादले की कमेटी में अपर शिक्षा निदेशक महिला हैं लेकिन, तमाम बार उनकी सहमति बगैर लिपिकों को इधर से उधर किया गया है। ऐसे ही निदेशालय में उप शिक्षा निदेशक विज्ञान, सहायक उप शिक्षा निदेशक महिला आदि पद केवल नाम के हैं।
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद । केंद्र सरकार ने उन नियम-कानूनों को खत्म किया या बदल दिया है, जो आज के दौर में उपयोग में नहीं है। प्रदेश में ऐसे पदों की अब भी भरमार है, जिन पर बड़े अफसरों की तैनाती जरूर हो रही है लेकिन, उनके पास कुछ भी करने का अधिकार नहीं है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने ये पद अफसरों को मानो दंडित करने या सेवानिवृत्त होने के लिए सुरक्षित कर दिया है। खास बात यह है कि इन पदों पर प्रदेश के अहम अफसरों की तैनाती रही है, फिर भी न पद खत्म हुए और दायित्व बढ़े।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में 1990 के पहले तक महिला और पुरुष अफसरों का अलग-अलग संवर्ग रहा है। क्षेत्रीय स्तर पर रीजनल इंस्पेक्टर गल्र्स स्कूल (आरआइजीएस) और मंडल स्तर पर डिप्टी डायरेक्टर की तैनाती होती रही है। उसी कड़ी में शिक्षा निदेशालय स्तर पर अपर शिक्षा निदेशक (महिला) का पद बना था। अफसरों के संवर्ग का एका होने पर आरआइजीएस का पद डीडीआर में व डिप्टी डायरेक्टर का पद संयुक्त शिक्षा निदेशक यानी जेडी में बदल गया लेकिन, ऊपर स्तर शिक्षा निदेशालय में अपर शिक्षा निदेशक महिला का पद अब भी बरकरार है। पहले इस पद पर महिला अधिकारी की ही नियुक्ति होती थी लेकिन, संवर्ग एक होने के बाद पुरुष व महिला दोनों तैनाती पाने लगे।
खास बात यह है कि अपर शिक्षा निदेशक स्तर के इस पद के अफसर पास जिम्मेदारी कोई नहीं है, छिटपुट कार्य अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक कभी-कभी तय कर देते रहे हैं। बीते दिसंबर 2016 तक इस पद पर उत्तम गुलाटी तैनात रही और सेवानिवृत्त हो गईं। अब यूपी बोर्ड की पूर्व सचिव शैल यादव को इसी पद पर नियुक्ति दी गई है, उन्हें भी अक्टूबर में सेवानिवृत्त होना है। यही नहीं, माध्यमिक शिक्षा के कई अहम पदों समेत शिक्षा निदेशक रहे वासुदेव यादव तक इस पद पर रह चुके हैं, फिर भी पद न खत्म हो सका और न ही इसे कोई दायित्व देने की पहल हुई। निदेशालय में लिपिकों के तबादले की कमेटी में अपर शिक्षा निदेशक महिला हैं लेकिन, तमाम बार उनकी सहमति बगैर लिपिकों को इधर से उधर किया गया है। ऐसे ही निदेशालय में उप शिक्षा निदेशक विज्ञान, सहायक उप शिक्षा निदेशक महिला आदि पद केवल नाम के हैं।