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लखनऊ : शिक्षामित्र सत्याग्रह पर अड़े, बच्चों को पढ़ाने नहीं पहुंचे स्कूल

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लखनऊ : शिक्षामित्र सत्याग्रह पर अड़े, बच्चों को पढ़ाने नहीं पहुंचे स्कूल

ब्यूरो/अमर उजााला, लखनऊ । समायोजन की मांग को लेकर आंदोलित अंबेडकरनगर के करीब दो हजार शिक्षामित्र लगातार दूसरे दिन सत्याग्रह पर डटे रहे। शुक्रवार को कलेक्ट्रेट के निकट बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों ने प्रदर्शन किया। कहा कि उनके समायोजन के संबंध में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया गया तो 21 अगस्त से विधानभवन घेरने के लिए लखनऊ में कूंच करेंगे।
शिक्षक पद से हटाए जाने के बाद से आंदोलनरत शिक्षामित्रों के तीनों संगठनों ने गत गुरुवार से कलेक्ट्रेट के निकट सत्याग्रह शुरू कर दिया। इसके साथ ही स्कूलों में बढ़ाना बंद कर दिया। शुक्रवार को दूसरे दिन भी कार्य से विरत रहते हुए बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों ने प्रदर्शन किया।
उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र शिक्षक कल्याण समिति के रामचंदर मौर्य ने कहा कि प्रदेश सरकार की हठधर्मिता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अनिल विश्वकर्मा ने कहा कि 14 वर्ष तक सेवा करने वाले शिक्षामित्रों को अपना भविष्य अब अंधकार दिख रहा है। सरकार को समायोजन के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। ऐसा होने तक आंदोलन चलता रहेगा।

*एक भी स्कूल में पढ़ाई शुरू न करा सका प्रशासन*

रायबरेली में शिक्षामित्रों की हड़ताल से सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो गई है। शिक्षामित्रों के स्थान पर दूसरे शिक्षकों की तैनाती करके पठन-पाठन का कार्य कराने के अफसरों का दावा पूरी तरह से खोखला साबित हो गया। एक भी स्कूल में पढ़ाई न शुरू हो सकी।
नतीजतन बच्चे थोड़ी दे मौज-मस्ती कर घरों को लौट गए। हड़ताल से प्रभावित 200 स्कूलों में पढ़ाई शुरू करवाने के लिए 2200 शिक्षकों की जरूरत है। ऐसे में शिक्षकों की कमी को दूर कर पाना शिक्षा विभाग के अफसरों के लिए आसान नहीं दिख रहा है।
जिले में 2600 सरकारी स्कूल संचालित हैं, जिसमें ढाई लाख से ज्यादा बच्चे शिक्षाग्रहण कर रहे हैं। शिक्षामित्रों की हड़ताल से एक बार भी पढ़ाई व्यवस्था चौपट हो गई है। वैसे तो वैसे तो हर स्कूल में पठन-पाठन का कार्य प्रभावित रहा, लेकिन 200 एकल स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से चौपट रही। नतीजतन ये 200 एकल स्कूल संचालित हैं।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुमार शुक्ला ने गुरुवार को कहा था कि जहां पर स्कूल बंद हैं, वहां के नजदीक स्कूल में तैनात शिक्षकों को वहां पर पढ़ाई कराने के लिए भेजा जाएगा, लेकिन यह दावा खोखला साबित हुआ। दूसरे दिन भी 200 स्कूलों में पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी।

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