इलाहाबाद : फंस सकती है स्नातक प्राचार्य पद पर प्रोन्नति,प्रक्रिया से असंतुष्ट शिक्षकों की न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी
*यूजीसी और एसीआर के मानकों का अनुपालन न करने का आरोप*
*प्रक्रिया से असंतुष्ट शिक्षकों की न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी*
अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद। प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में तैनात 79 शिक्षकों को स्नातक प्राचार्य पद पर प्रोन्नत किया गया है। हालांकि अब इनकी प्रोन्नति पर संकट मंडरा रहा है। जिन शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हुआ, उनमें असंतोष की स्थिति है। शिक्षकों का कहना है कि प्रमोशन की प्रक्रिया में यूजीसी के मानकों का पालन नहीं किया गया और न ही एनुअल करेक्टर रिपोर्ट (एसीआर) के तहत दिए गए अंकों के बारे में शिक्षकों को कोई जानकारी दी गई। मामले में कई शिक्षक अब न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
तीन दिन पहले सहायक शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) प्रो. संजय कुमार सिंह की ओर से स्नातक प्राचार्य पद पर प्रोन्नत हुए 79 शिक्षकों की सूची जारी की गई। सभी नव चयनित प्राचार्यों को राजकीय स्नातक महाविद्यालयों में तैनाती दी जानी है। साथ ही नव चयनित प्राचार्यों से तैनाती के लिए तीन-तीन विकल्प भी मांगे गए हैं। हालांकि प्रमोशन की सूची जारी होने के बाद नया विवाद उत्पन्न हो गया है। तमाम शिक्षकों का आरोप है कि प्रोन्नति में यूजीसी के नियमों का अनुपालन नहीं किया गया। यूजीसी के मानकों के अनुसार प्राचार्य पद के लिए अभ्यर्थी का डीफिल होना आवश्यक है लेकिन सूची में तमाम ऐसे नाम शामिल है, जो डीफिल नहीं है। इसके साथ ही प्रावधान है कि शिक्षकों को सालाना एसीआर के तहत जो अंक दिए जाएंगे, उसकी जानकारी भी शिक्षकों को दी जाएगी ताकि असंतुष्ट होने की स्थिति में शिक्षक उचित फोरम पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। आरोप है कि इस मानक का भी पालन नहीं किया गया जबकि शिक्षकों के प्रमोशन में एसीआर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फिलहाल यह विवाद सामने आने के बाद कई शिक्षकों ने न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर ली है और ऐसे में स्नातक प्राचार्य पद पर हुई प्रोन्नति फंस सकती हैं।