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लखनऊ : अखिलेश सरकार में 10 जिलों में बंटी छात्रवृत्ति की जांच करेगा कैग

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लखनऊ : अखिलेश सरकार में 10 जिलों में बंटी छात्रवृत्ति की जांच करेगा कैग

ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ । भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (कैग) ने अखिलेश सरकार में बांटी गई छात्रवृत्ति की जांच शुरू कर दी है। इसके लिए लखनऊ और रायबरेली समेत प्रदेश के 10 जिलों को चुना गया है।

कैग की टीम इन जिलों के शिक्षण संस्थानों में जाकर रिकॉर्ड चेक करेगी और विद्यार्थियों से बात भी करेगी। सोमवार को राजधानी में हुई उच्चस्तरीय बैठक में कैग टीम को नियमों से संबंधित जरूरी जानकारी दी गई।
केंद्र सरकार ने पिछले पांच वर्षों में अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत दी गई राशि की जांच के आदेश दिए हैं। इस अवधि में अनुसूचित जाति के छात्रों को 7045 करोड़ रुपये की राशि बांटी गई। इसमें 3305 करोड़ राज्य सरकार और 3740 करोड़ रुपये केंद्र सरकार का शेयर था।

यह जांच कैग टीम से कराई जा रही है। सोमवार को उप महालेखा परीक्षक संदीप जाबरा की अगुवाई में कैग टीम ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज कुमार सिंह, एनआईसी के वरिष्ठ अधिकारी आरएच खान और संबंधित वरिष्ठ अफसरों के साथ कई घंटे विचार-विमर्श किया।

इस बैठक में कैग टीम ने राज्य सरकार और एनआईसी के अधिकारियों को बताया कि वे लखनऊ, रायबरेली, वाराणसी, मेरठ, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, बिजनौर, मथुरा और इलाहाबाद में दी गई छात्रवृत्ति की जांच करेंगे।

अधिकारियों को कैग की टीम को सहयोग करने का निर्देश

प्रमुख सचिव समाज कल्याण ने इन दस जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जांच के दौरान कैग टीम का पूरा सहयोग करें। कैग टीम शिक्षण संस्थानों में जाकर डाटा चेक करेगी।

छात्रवृत्ति की बेवसाइट पर दिए गए विद्यार्थियों के मोबाइल नंबरों पर बात करके यह पता करने का प्रयास करेगी कि कहीं फर्जी छात्र दिखाकर तो गड़बड़ नहीं की गई। कैग टीम ने बैठक में यह भी बताया कि ये शिक्षण संस्थान कौन से होंगे, इसका खुलासा पहले से नहीं किया जाएगा।

इस पर समाज कल्याण निदेशक ने समाज कल्याण अधिकारियों से कहा कि वे अपने यहां के सभी शिक्षण संस्थानों को मांगने पर तत्काल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के निर्देश जारी कर दें। एनआईसी अधिकारियों ने छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए तैयार पोर्टल में पिछले पांच साल में हुए बदलावों की जानकारी दी। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने इस अवधि में घपलों की गुंजाइश खत्म करने के लिए नियमावली में किए गए संशोधनों के बारे में बताया।

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