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इलाहाबाद : पीसीएस प्राथमिक परीक्षा में 54 फीसदी रही उपस्थिति

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इलाहाबाद : पीसीएस प्राथमिक परीक्षा में 54 फीसदी रही उपस्थिति

अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद । पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2017 कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के कारण याद रखी जाएगी। रविवार को आयोजित परीक्षा में ऐसा पहली बार हुआ, जब प्रतियोगियों को ओएमआर की कार्बन कॉपी घर ले जाने को मिली। प्रदेश के 21 जिलों में हुई परीक्षा में अभ्यर्थियों की उपस्थिति 54.19 फीसदी रही।

पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा रविवार को दो सत्रों सुबह 9:30 से 11:30 और अपराह्न 2:30 से 4:30 बजे तक आयोजित की गई। परीक्षा के लिए प्रदेश के 21 जिलों में कुल 982 और इलाहाबाद में 68 केंद्र बनाए गए थे। प्रदेश भर से परीक्षा के लिए कुल 4,55,297 अभ्यर्थी पंजीकृत थे, जिनमें 2,46,710 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए।

कुछ परीक्षा केंद्रों में अव्यवस्था की शिकायतें आईं लेकिन बाकी जगह परीक्षा सही तरीके से हुई। सभी प्रतियोगियों को ओएमआर की कॉर्बन कॉपी घर ले जाने को मिली। पेपर के बंडल वीडियो कैमरे के सामने खोले गए और पेपर सील किए जाने की प्रक्रिया की भी वीडियोग्राफी कराई गई। ज्यादातर परीक्षा केंद्रों में तलाशी के बाद ही परीक्षार्थियों को प्रवेश करने दिया गया। हालांकि कुछ परीक्षा केंद्रों में तलाशी नहीं हुई। आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि परीक्षा को दो सत्रों में संपन्न कराया गया। कहीं से कोई शिकायत नहीं मिली।

सभी केंद्र
रट कर परीक्षा देने वाले प्रतियोगियों को इस बार पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2017 का पेपर हल करने में पसीना छूट गया। पेपर की गुणवत्ता में इस बार बड़ा बदलाव देखने को मिला। आईएएस स्तर की परीक्षा के समकक्ष प्रश्न पूछे जाने से प्रतियोगियों को पेपर हल के लिए जो समय मिला, वह कम पड़ गया। पेपर में समसामयिक घटनाक्रम से जुड़े काफी प्रश्न आए। पेपर संतुलित रहा और जिस तरह के प्रश्न पूछे गए, उससे यही संकेत मिल रहे हैं कि इस बार उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पेपर सेट करने के लिए विशेषज्ञों के पैनल में भी व्यापक बदलाव किया है। खास यह कि इस बार किसी प्रश्न या विकल्प के रूप में उसके उत्तरों के गलत होने की शिकायतें नहीं आईं।

सामान्य अध्ययन के पहले पेपर में अभ्यर्थियों को डेढ़ सौ सवाल हल करने थे। इसमें स्वदेश दर्शन कार्यक्रम, अर्थव्यवस्था की चक्रव्यूह चुनौती, सतत विकास लक्ष्य, सौर ऊर्जा से चलने वाली भारत की पहली ट्रेन, मिताली राज का रिकार्ड, प्रदेश का सबसे गंदा शहर, जापानी इंसेफेलाइटिस अनुसंधान केंद्र, वैश्विक कौशल पार्क, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, सेज इंडिया मोबाइल एप, सक्षम परियोजना, जन धन योजना, सुकन्या योजना, मेक इन इंडिया जैसे विषयों पर सवाल कठिन तरीके से बनाए गए थे। प्रतियोगियों का कहना है कि जो प्रश्न देखने में सरल लग रहे थे, उनके विकल्प कठिन थे। विकल्पों में सही उत्तर को छांट पान आसान नहीं था।

पेपर में समसामयिक घटनाओं से जुड़े तकरीबन 35 सवाल, विज्ञान एवं पारिस्थितिकी के 37, राजव्यवस्था के 18, इतिहास के 20, भूगोल के 22 प्रश्न पूछे गए। इसके साथ ही जनसंख्या नगरीकरण एवं प्रदेश विशेष से जुड़े प्रश्न भी थे। बड़ी संख्या में ऐसे प्रश्न थे, जो पिछले एक माह के घटनाक्रम से जुड़े हुए थे जबकि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा पहले मार्च में घोषित की गई थी। इसके बाद परीक्षा को टाल कर मई में प्रस्तावित किया गया और अंत में परीक्षा 24 सितंबर को हुई। ऐसे में स्पष्ट है कि प्रश्न पत्र एक माह के भीतर तैयार कराए गए हैं। संतुलित और कठिन पेपर से यही संकेत मिल रहे हैं कि इस बार आयोग ने विशेषज्ञों के पैनल में भी बड़ा बदलाव किया है।

पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा का दूसरा पेपर क्वालीफाइंग होता है। इसमें 100 सवाल पूछे जाते हैं और परीक्षा क्वालीफाई करने के लिए 33 फीसदी प्राप्तांक अनिवार्य होते हैं। दूसने पेपर का स्तर भी पहले प्रश्न पत्र जैसा रहा। संप्रेषण एवं व्यैक्तिक क्षमता के 33, गणित एवं रिजनिंग के 32, हिंदी व्याकरण के 20 और अंग्रेजी के 15 प्रश्न पूछे गए। हिंदी के सवाल भी काफी कठिन थे। गणित और रिजनिंग से जुड़े सवाल भी आसान नहीं थे। ऐसे में इस बार परीक्षा क्वलीफाई कर पाना भी अभ्यर्थियों के लिए बड़ी चुनौती होगी।
पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में अभ्यर्थियों की उपस्थिति पिछले साल के मुकाबले कुछ ज्यादा ही रही जबकि परीक्षा से एक दिन पहले कुछ शरारती तत्वों ने प्रतियोगियों को बल्क में फर्जी मैसेज भेजकर परीक्षा स्थगित होने की सूचना दे दी थी, जिसके बाद आयोग को विज्ञप्ति जारी कर स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी कि परीक्षा निर्धारित समय पर ही होगी और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। परीक्षा में अभ्यर्थियों की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि फर्जी मैसेज भेजने वाले अपनी मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके।

कुछ प्रतियोगी छात्रों ने परीक्षा केेंद्रों में अव्यवस्था होने का आरोप लगाया है। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का कहना है कि उनका सेंटर लखनऊ के सूर्योदय पब्लिक इंटर कॉलेज खेड़ा, राजीपुरम में था। गली-कूचे में सेंटर होने के कारण केवल उनके कमरे में ही नौ अभ्यर्थी समय से नहीं पहुंच सके और उनकी परीक्षा छूट गई। ओएमआर की कॉपी तो दी गई लेकिन उस पर आसंर शीट का नंबर अंकित नहीं था ।

वीडियोग्राफी की व्यवस्था नहीं थी। सामान जमा करने के लिए हर अभ्यर्थी को 20 रुपये देना पड़ा। इसके अलावा गूगल वर्जन का प्रयोग किए जाने के कारण पेपर में आई हिंदी त्रुटिपूर्ण रही और अभ्यर्थियों को दिक्कत हुई। मोर्चा के अध्यक्ष को तमाम केंद्रों से ऐसी शिकायतें मिलीं। अध्यक्ष का आरोप है कि सुधार के नाम पर आयोग ने केवल दिखावा किया है। इसका विरोध होगा। प्रतियोगी आंदोलन करेंगे।

पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2017 कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के कारण याद रखी जाएगी। रविवार को आयोजित पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में ऐसा पहली बार हुआ, जब प्रतियोगियों को ओएमआर की कार्बन कॉपी घर ले जाने को मिली। प्रदेश के 21 जिलों में हुई परीक्षा में अभ्यर्थियों की उपस्थिति 54.19 फीसदी रही जबकि इलाहाबाद में 64.22 फीसदी अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी।

पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा रविवार को दो सत्रों सुबह 9.30 से 11.30 और अपराह्न 2.30 से 4.30 बजे तक आयोजित की गई। परीक्षा के लिए प्रदेश के 21 जिलों में कुल 982 और इलाहाबाद में 68 केंद्र बनाए गए थे। प्रदेश भर से परीक्षा के लिए कुल चार लाख 55 हजार 297 अभ्यर्थी पंजीकृत थे, जिनमें दो लाख 46 हजार 710 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। पीसीएस की पिछली कुछ परीक्षाओं में पेपर आउट होने, कॉपी बदले जाने जैसी घटनाओं के मद्देनजर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग लगातार विवादों में घिरा रहा, सो इस बार परीक्षा को शांतिपूर्वक और निर्विवाद तरीके से संपन्न कराना आयोग के लिए बड़ी चुनौती थी और काफी हद तक आयोग इसमें सफल भी रहा।

कुछ परीक्षा केंद्रों में अव्यवस्था की शिकायतें जरूर आईं लेकिन बाकी मामलों में आयोग ने अपने निर्णय पर अमल किया। सभी प्रतियोगियों को ओएमआर की कॉर्बन कॉपी घर ले जाने को मिली। पेपर के बंडल वीडियो कैमरे के सामने खोले गए और पेपर सील किए जाने की प्रक्रिया की भी वीडियोग्राफी कराई गई।

ज्यादातर परीक्षा केंद्रों में तलाशी के बाद ही परीक्षार्थियों को प्रवेश करने दिया गया। हालांकि कुछ परीक्षा केंद्रों में तलाशी नहीं हुई। वहीं, परीक्षा केंद्रों में बाथरूम के बाहर भी निगरानी की व्यवस्था की गई ताकि नकल पर प्रभावी रोक लगाई जा सके। हालांकि इस मामले में भी कुछ केंद्रों में लापरवाही दिखी। आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि परीक्षा को दो सत्रों में सकुशल, निर्विघ्न औ शुचितापूर्ण तरीके से संपन्न कराया गया। कहीं से कोई शिकायत नहीं मिली।

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