इलाहाबाद : पहले दिया चयन वेतनमान का लाभ, फिर निरस्त, बीएसए कार्यालय की कार्यशैली पर उठे सवाल
🔴 बीएसए कार्यालय की कार्यशैली पर उठे सवाल, माध्यमिक शिक्षक संघ ने की आपत्ति
इलाहाबाद । नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत तकरीबन 50 सहायक अध्यापिकाओं को चयन वेतनमान का लाभ न देने के मामले में माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुरई गुट की ओर से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दिए गए ज्ञापन के बाद बुधवार को तीन अध्यापिकाओं को दिया गया लाभ निरस्त कर दिया गया। संघ ने बीएसए के इस फैसले पर भी आपत्ति जताई है।
विभिन्न विद्यालयों में यह सहायक अध्यापिकाएं 10 वर्ष की सेवा पूरी कर चुकी हैं लेकिन उन्हें चयन वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि बीएसए ंने पांच अगस्त को ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों के 30 शिक्षकों के साथ नगर क्षेत्र की भी तीन अध्यापिकाओं को इस लाभ का आदेश जारी किया। नगर क्षेत्र की अन्य अध्यापिकाओं को लाभ देेने के लिए मंगलवार को संघ के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी बीएसए को ज्ञापन दिया था और लाभ न देने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी। अब बीएसए द्वारा तीन अध्यापिकाओं को लाभ से वंचित किए जाने पर श्री द्विवेदी ने आपत्ति जताई है।
उनका कहना है कि 20 दिसंबर 2011 का शासनादेश प्राथमिक एवं माध्यमिक दोनों के ही शिक्षकों के लिए चयन वेतनमान तथा प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने का एक मात्र आदेश है। इसमें कहीं नहीं है कि पदोन्नति न लेने वाले शिक्षकों को चयन वेतनमान या पदोन्नत वेतनमान का लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि बीएसए कार्यालय पहले तो नियमों की जानकारी के बिना 50 अध्यापिकाओं का लाभ दो वर्ष तक रोक कर रखता है। फिर बिना किसी नियम की जानकारी के तीन अध्यापिकाओं को लाभ दे देता है। बाद में लाभ का आदेश निरस्त कर दिया जाता है। इससे बीएसए कार्यालय की कार्यप्रणाली पर संदेह के घेरे में आती है। उन्होंने तीन अध्यापिकाओं से वंचित करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कहा कि अध्यापिकाओं को यह जानने का अधिकार है कि किस नियम के तहत ऐसा किया गया। उन्होंने तीनों अध्यापिकाओं को इस निर्णय को न्यायालय में चुनौती देने को कहा है।