शिक्षा की दुर्दशा पर दुखी है राष्ट्रपति से सम्मानित शिक्षक
जागरण संवाददाता, बांदा: 'विद्या दान महादान' के उद्देश्य से पूरा जीवन शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित कर दिया। उनके पढ़ाए बच्चे आज श्रेष्ठ शिक्षा व शिष्टाचार के बल पर लोकतंत्र के सभी स्तंभों में उच्च पदों पर आसीन है। जो देश व समाज के लिए गौरव बने हुए है। उन्हे बेहतर शिक्षा के लिए देश के राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लेकिन वह शिक्षा की दुर्दशा पर बेहद दुखी है। उनके अनुभव और विचारों को कोई सुनना नहीं चाहता है। साल में एक बार शिक्षक दिवस पर उन्हे याद किया जाता था लेकिन पिछले पांच सालों से विभाग ने इस कार्यक्रम को भी बंद कर दिया।
आदर्श बजरंग इंटर कालेज के सेवानिवृत्त शिक्षक हरिओम तत्सत ब्रह्म शुक्ल को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सेवा के लिए 1993 में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्होंने 49 साल की सेवा में हमेशा विद्यालय के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ-साथ संस्कारवान बनाने का प्रयास किया। लेकिन आज वह सिस्टम से बेहद दुखी है। उनका कहना है कि आज सम्मान का अब कोई मान नही रहा। बताया कि हर साल 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर शिक्षा विभाग एक कार्यक्रम आयोजित कर उन्हे सम्मानित करता था। उनके अनुभव व विचारों को भी लिया जाता था। लेकिन पिछले पांच सालों से यह भी कार्यक्रम बंद कर दिया गया। कारण वह गिरते शिक्षा स्तर पर कोई कटाक्ष न करे।
कन्या जूनियर हाईस्कूल महोखर से सेवानिवृत्त शिक्षिका शकुन्तला देवी द्विवेदी को शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ शिक्षा के लिए 2002 में देश के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था। 48 साल की सेवा में उन्होंने हमेशा शिक्षा को शिक्षादान के रूप वितरित किया। उनकी तमन्ना थी कि देश का कोई भी बेटा या बेटी शिक्षा से वंचित न रहे। स्कूलों में ही इतना पढ़ा दिया जाए कि उन्हे को¨चग या ट्यूशन की आवश्कता न पड़े। लेकिन आज शिक्षा के स्तर में अत्यधिक गिरावट आई है। शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों का हृास हो रहा है। वह चाहती है कि उनके अनुभव व विचारों को शेयर किया जाए। लेकिन कोई भी उनके अनुभव व विचारों को नहीं सुनना चाहता है। सिर्फ शिक्षक दिवस पर सम्मानित कर रस्म अदायगी कर दी जाती है।