महराजगंज : क्षेत्र के सबसे पुराने विद्यालय मीडिल स्कूल में बच्चों की पढ़ाई झाड़ झंखाड़ व दुर्गंध के बीच चल रही
महराजगंज : क्षेत्र के सबसे पुराने विद्यालय मीडिल स्कूल में बच्चों की पढ़ाई झाड़ झंखाड़ व दुर्गंध के बीच चल रही है। यहां पर पढ़ने वाले छात्रों की मजबूरी है कि वे कहीं अन्य जगह जा नही सकते। स्वच्छता के महाभियान में भी किसी जिम्मेदार की नजर इस विद्यालय पर नही पड़ी। क्षेत्र का सबसे पुराना विद्यालय इन दिनों घोर उपेक्षा के कारण बदहाली में है। इस विद्यालय के दो तरफ झाड़ झंखाड़ तो एक तरफ कूड़े करकट के ढेर फैले हुए हैं। गंदगी का आलम यह है कि विद्यालय भवन से आगे एवं बगल के खाली स्थान शौच से पटे हुए हैं। कभी कभी तो शौच करने वाले अंधेरे का लाभ उठाकर बरामदे मे भी गंदगी करके चले जाते हैं। इसी गंदगी के चलते दुर्गंध भरे वातावरण में बच्चों की पढ़ाई करनी मजबूरी हो गई है। झाड़ झंखाड़ के नाते अक्सर सांपों का विचरण भी देखने को मिल जाता है। कहने के लिए तो इस विद्यालय की देखरेख व प्रबंधन में नगर पंचायत शामिल है। जिसका कार्यालय विद्यालय से महज 25 कदम दूर है लेकिन नगर पंचायत के जिम्मेदारों का नजर कभी इस विद्यालय पर नही पड़ी।
जानकारी के अनुसार नगर पंचायत में कहने के लिए 27 सफाई कर्मी हैं, लेकिन विद्यालय की दुर्दशा देखने के बाद नही लगता कि महीनों में कभी यहां सफाई हुई है। बिना चहारदीवारी के खुला विद्यालय भवन में आवारा पशुओं एवं जानवरों की भी चहल कदमी देखी भी जा सकती है। उपनगर के नशा करने वाले लोग भी यहां अपने गलत कामों को अंजाम देते मिल जाएंगे। प्रभारी प्रधानाध्यापिका सुमन गुप्ता ने बताया कि वार्ड सभासद से सफाई के लिए कई बार कहा गया था।
अधिशासी अधिकारी विरेंद्र कुमार राव का कहना है कि जिसका कैंपस है सफाई की जिम्मेदारी भी उसी की है। गंदगी अधिक रहती है, तो हम लोग खुद सफाई कराने के लिए पहुंच जाते हैं। यहां के गंदगी का मामला मेरे संज्ञान में नही था।