इलाहाबाद : अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दायरे में कई अफसर-कर्मचारी
अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद । मुख्य सचिव राजीव कुमार के पत्र के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। हालांकि जिले में अभी तक मात्र आवास विकास परिषद के अवर अभियंता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है, लेकिन अब सूची लंबी होने की बात कही जा रही है। इस क्रम में एक ही विभाग के 14 जिला स्तरीय अफसर को हटाए जाने की तैयारी है। इसे लेकर जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इनके अलावा कलेक्ट्रेट तथा विकास भवन में तैनात कई कर्मचारियाें पर इस आदेश की गाज गिरने की बात कही जा रही है।
प्रक्रिया से जुड़े एक अफसर ने बताया कि छात्रवृत्ति तथा अन्य योजनाओं से जुड़े एक विभाग के 14 अफसरों के नाम अनिवार्य सेवानिवृत्ति वाली सूची में शामिल हैं। इन पर कई गंभीर आरोप हैं। इसकी रिपोर्ट शासन में तैयार की जा रही है। इनके अलावा स्थानीय स्तर पर जिला विकास कार्यालय में स्क्रीनिंग कराई गई लेकिन सभी योग्य पाए गए।
यानी, किसी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति नहीं दी जाएगी। इसी तरह से जिला पंचायती राज विभाग में कोई भी सफाई कर्मचारी 50 साल से अधिक उम्र का नहीं है, लेकिन इसी विभाग में कई ग्राम पंचायत अधिकारी इस दायरे में आ सकते हैं।
जिले में 50 से अधिक ग्राम पंचायत अधिकारियों की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो चुकी है। इनकी सूची शासन को भेज दी गई है। इनमें से कई कर्मचारी लंबे समय से मेडिकल पर चल रहे हैं। उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की बात कही जा रही है। अन्य की भी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसी तरह से कलेक्ट्रेट में भी 50 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों की कुंडली तैयार की जा रही है। माना जा रहा था कि अक्तूबर बाद शासन को भेजी जाएगी लेकिन अब मुख्य सचिव के एक और पत्र के बाद इसी महीने में रिपोर्ट भेजे जाने की बात कही जा रही है। लंबे समय से छुट्टी पर चल रहे तथा भ्रष्टाचार में फंसे कई कर्मचारियों की नौकरी खतरे में बताई जा रही है।
सरकार ने दक्षता के आधार पर 50 वर्ष से अधिक आयु के अफसरों और कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का निर्णय लिया है। हालांकि, कर्मचारियों के तीव्र विरोध के मद्देनजर शीर्ष पर बैठे अफसरों ने इसमें गंभीरता नहीं दिखाई। इस बाबत मुख्य सचिव की ओर से शुक्रवार को दोबारा आदेश जारी किया गया। अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सूची में शामिल अफसरों और कर्मचारियों का विवरण भी निर्धारित प्रारूप में देना है। मुख्य सचिव ने उसका फार्मेट भी विभागों को भेजा है। रिपोर्ट 15 सितंबर तक भेजनी है।
अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर मुख्य सचिव के एक और पत्र के बाद कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ गई है। सरकार के इस फैसले के विरोध में वे बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं। इस बाबत उत्तर प्रदेश कर्मचारी महासंघ की 15 सितंबर को बैठक बुलाई गई है। जिलाध्यक्ष नर सिंह ने बताया कि बैठक में आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि तीन अक्तूबर को लखनऊ में पहले से धरना-प्रदर्शन घोषित है। उसमें इस फैसले का तीव्र विरोध किया जाएगा।