लखनऊ : बच्चों के सीखने-समझने के लिए जिम्मेदार बनाए गए शिक्षक ,पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए तय होंगे लर्निंग आउटकम्स
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर में सुधार लाने के लिए सरकार ने इसके लिए अब शिक्षकों को जवाबदेह बनाने का फैसला किया है। शिक्षकों की परफार्मेन्स अब बच्चों की परफार्मेन्स से जोड़ी जा सकेगी। इसके लिए पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों से उनकी कक्षा के अनुरूप पढ़ाई को सीखने-समझने के अपेक्षित स्तर को मानक (लर्निंग आउटकम्स) की शक्ल देकर इन्हें उप्र निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में शामिल करने का सरकार ने निर्णय किया है। कैबिनेट ने इस मकसद से मंगलवार को उप्र निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं। इन स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक का कोर्स तो निर्धारित है, लेकिन किसी कलास में पढ़ने वाला बच्चे से उस कोर्स को सीखने-समझने के जिस स्तर की अपेक्षा की जाती है, उसका अभी कोई मानक तय नहीं है। बच्चों को सिखाने-पढ़ाने और समझाने के बारे में शिक्षकों को उत्तरदायी बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने राज्यों से कहा था कि वे कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए लर्निंग आउटकम्स को शिक्षा का अधिकार नियमावली में शामिल करें। इस सिलसिले में मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने 23 जून 2017 को अधिसूचना भी जारी की थी।
इसके पीछे सोच यह है कि जब तक कक्षा के अनुरूप बच्चों के सीखने-समझने का स्तर तय नहीं होगा और शिक्षकों को इसके लिए जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा, तब तक बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का कोई रोडमैप कारगर नहीं होगा। केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकार ने लर्निंग आउटकम्स को उप्र निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में शामिल करने का फैसला किया है। पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए लर्निंग आउटकम्स का निर्धारण करने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को शैक्षिक प्राधिकारी घोषित किया गया है।