इलाहाबाद : कैसे दी जा रही अनिवार्य सेवानिवृत्ति: हाईकोर्ट
हिन्दुस्तान टीम, इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेल व पुलिस फोर्स में 50 वर्ष की आयु के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए स्क्रीनिंग कमेटी के गठन की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह व डीजी जेल से पूछा है कि इसके लिए कोई स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई है या नहीं। यदि नहीं तो स्क्रीनिंग कमेटी की संस्तुति व अनुमोदन के बगैर अनिवार्य सेवानिवृत्ति कैसे दी जा रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय ने इटावा सेंट्रल जेल में नियुक्त बंदी रक्षक राजेंद्र प्रसाद अहिरवार की याचिका पर अधिवक्ता विजय गौतम को सुनकर दिया है। याचिका में सेंट्रल जेल अधीक्षक के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें छह जुलाई 2017 व आठ सितम्बर 2017 के शासनादेशों के परिप्रेक्ष्य में याची से अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए कहा गया है। एडवोकेट विजय गौतम ने नौ अगस्त 2017 के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विपरीत बताया। कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष ऐसा कोई तथ्य या कागजात नहीं था, जिससे यह कहा जा सके कि याची अब सेवा योग्य नहीं है। साथ ही सेवानिवृत्ति देने से पहले स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई मत भी व्यक्त नहीं किया। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह व डीजी जेल से यह बताने को कहा है कि छह जुलाई व आठ सितम्बर 2017 के शासनादेशों के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए कोई स्क्रीनिंग कमेटी गठित की गई या नहीं। यदि कमेटी कगठित की गई तो क्या याची का मामला कमेटीके समक्ष रखा गया था। यदि रखा गया था तो स्क्रीनिंग कमेटी ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति की संस्तुति की थी या नहीं।