इलाहाबाद : शिक्षामित्रों ने किया सांकेतिक कार्य बहिष्कार, शिक्षामित्रों को उनके मूलपद पर वापस भेजने और दस हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय का शासनादेश के खिलाफ शिक्षामित्रों का विरोध चौथे दिन भी जारी रहा।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शिक्षामित्रों को उनके मूलपद पर वापस भेजने और दस हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय का शासनादेश के खिलाफ शिक्षामित्रों का विरोध चौथे दिन भी जारी रहा। जनपद के सभी ब्लॉक में प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों ने बांह पर काली पट्टी बांधकर सांकेतिक कार्य बहिष्कार किया। इनका कहना है कि सरकार को इन्हें शिक्षकपद पर भेजकर पूरा वेतन देना चाहिए।
संयुक्त शिक्षामित्र संघर्ष समिति के प्रातीय आह्वान पर चल रहे आदोलन के चौथे दिन शिक्षामित्रों ने काली पट्टी बाधकर शिक्षण कार्य का सांकेतिक बहिष्कार किया। जिले एवं जनपद के सभी शिक्षाखंड के शिक्षामित्रों ने एक स्वर में सरकार की वादाखिलाफी की निंदा की। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अश्वनी त्रिपाठी का कहना है सरकार को प्रदेश भर के शिक्षामित्रों के हित में फैसला लेना होगा। उन्होंने गत एक और 23 अगस्त को सूबे के मुख्यमंत्री के साथ शिष्ट मंडल से वार्ता का संदर्भ देते हुए कहा था कि मामले के निस्तारण के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। परन्तु पांच सितंबर को चालीस हजार पाने वालों को मात्र दस हजार का मानदेय देने की घोषणा हुई। यह प्रदेशभर के शिक्षामित्रों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय की बात करती है तो अनुपालन करें। प्रदेश में दोहरी नीति नही चलने दी जाएगी। यदि समय रहते विचार नही हुआ तो आदोलन रौद्ध रूप धारण करेगा। अगली रणनीति के अंतर्गत दिल्ली के जंतर मंतर पर 11 सितंबर से विशाल धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। जनपद के लगभग साढ़े तीन हजार शिक्षामित्र भी दिल्ली कूच करेंगे। संघ के संरक्षक सुरेंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि सरकार हमारी ताकत को खंडित करना चाहती है।