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लखनऊ : फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश, जानें कहीं आपका आधार कार्ड भी...?

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लखनऊ : फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश, जानें कहीं आपका आधार कार्ड भी...?

हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मानकों को दरकिनार करके लोगों के फर्जी आधार कार्ड  बनाने वाले गैंग के 10 लोगों को एसटीएफ ने कानपुर से गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों के पास से 11 लैपटॉप, फिंगर-रेटिना स्कैनर समेत आधार कार्ड बनाने में प्रयोग होने वाले उपकरण बरामद हुए हैं। गिरफ्तार आरोपी आधार कार्ड बनने के लिए अधिकृत नहीं थे। वे अधिकृत ऑपरेटरों के फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल करके आधार कार्ड बनाते थे।

इसकी शिकायत मिलने पर यूआईडीएआई ने सॉफ्टवेयर की मदद से आधार कार्ड बनाना शुरू किया। लेकिन शातिर जालसाजों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। उन्होंने सॉफ्टवेयर हैक करके यूआईडीएआई की साइट पर एक्सेस हासिल करके आधार कार्ड बनाना शुरू कर दिया। एसटीएफ का दावा है कि आरोपियों ने अब तक हजारों लोगों के फर्जी आधार कार्ड सृजित किए हैं।

आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि कुछ दिन पहले यूआईडीएआई की तरफ से एसटीएफ के साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। मुकदमे में इस बात का जिक्र किया गया था कि कुछ जालसाज यूआईडीएआई के मानकों को दरकिनार करके फर्जी ढंग से लोगों का आधार कार्ड बना रहे हैं। इस सूचना पर एसटीएफ ने काम शुरू किया। छानबीन के दौरान कानपुर के रहने वाले सौरभ सिंह का नाम सामने आया। पता चला कि सौरभ सिंह का एक गैंग है जो अधिकृत न होने के बावजूद भी फर्जी ढंग से आधार कार्ड बना रहा था।

एसटीएफ ने शनिवार रात कानपुर के बर्रा स्थित विश्व बैंक कालोनी के एक मकान में छापा मारकर सौरभ सिंह सहित 10 जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान कानपुर निवासी शुभम सिंह, सतेन्द्र कुमार, शोभित सचान, फतेहपुर निवासी शिवम कुमार, मनोज कुमार, मैनपुरी निवासी तुलसीराम, प्रतापगढ़ निवासी कुलदीप सिंह, हरदोई निवासी चमन गुप्ता और आजमगढ़ निवासी गुड्डू गौंड के रूप में हुई। आरोपियों के पास से 11 लैपटॉप, 38 कृत्रिम फिंगर प्रिंट कागज पर, 46 कृत्रिम फिंगर प्रिंट केमिकल निर्मित, 12 मोबाइल फोन, 2 आधार फिंग स्कैनर, 2 फिंगर स्कैनर, 2 रेटिना स्कैनर, 8 रबर स्टैम्प, 18 आधार कार्ड, एक वेब कैम, एक जीपीएस एक्युपमेंट सहित अन्य सामान बरामद हुआ।

*ऐसे तैयार करते थे फिंगर प्रिंट*

गैंग के सरगना सौरभ सिंह से पूछताछ में धांधली का खुलासा हुआ। आईजी अमिताभ यश ने बताया कि अभियुक्त आधार कार्ड बनाने के लिए निर्धारित विधिक प्रणाली व मानकों को बाईपास करते हुए बायोमेट्रिक डिवाइस के माध्यम से अधिकृत ऑपरेटर्स के फिंगर प्रिंट ले लेते थे। इसके बाद उसका बटर पेपर पर लेजर प्रिंटर से प्रिंट आउट निकालते थे।  इसके बाद फोटो पॉलीमर रेजिन केमिकल डालकर पॉलीमर क्यूरिंग उपकरण (यूवी रेज) में पहले 10 डिग्री, उसके बाद 40 डिग्री तापमान पर कृत्रिम फिंगर प्रिंट, मूल फिंगर प्रिंट के समान तैयार कर लेते थे। इस कृत्रिम फिंगर प्रिंट का प्रयोग करके आधार कार्ड की वेबसाइट पर लॉगिन करते थे। ऑपरेटर के इस कृत्रिम फिंगर प्रिंट की मदद से वे लोग अलग-अलग स्थानों पर आधार कार्ड के एनरोलमेंट की प्रकिया पूरी कर लेते थे। तैयार किया गया कृत्रिम फिंगर प्रिंट ऑपरेटर के असल फिंगर प्रिंट की तरह ही काम करता है।

*सुरक्षा मानक बढ़ने पर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने लगे*

एएसपी डॉ. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले तक आधार कार्ड बनाने के लिए ऑपरेटर को अपने फिंगर प्रिंट के माध्यम से आधार की क्लाइंट एप्लीकेशन को एक्सेस किया जाता था। लेकिन, जालसाजों द्वारा क्लोन फिंगर प्रिंट बनाए जाने का पता चलने पर यूआईडीएआई  ने फिंगर प्रिंट के अलावा बॉयोमेट्रिक में ऑपरेटर के रेटिना को भी ऑथेन्टीकेशन प्रोसेस का हिस्सा बना दिया। इसके चलते फर्जी ऑपरेटर का धंधा बंद हो गया। इस पर जालसाजों ने नया तरीका अख्तियार किया। आरोपियों ने हैकरों की मदद से एक सॉफ्टवेयर तैयार कराया। इस सॉफ्टवेयर की मदद से वे यूआईडीएआई के सारे मानकों को तोड़ने में सफल हो गए और बड़े आराम से बिना किसी ऑथेंटीकेशन के ही लोगों का आधार कार्ड बनाने लगे।

*5 हजार रुपये में बेचा सॉफ्टवेयर*

एएसपी डॉ. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि हैकरों द्वारा यह सॉफ्टवेयर 5-5 हजार रुपये में लोगों को बेचा गया था। सॉफ्टवेयर खरीदने वाले इसी की मदद से यूआईडीएआई की वेबसाइट में आसानी से एक्सेस हासिल कर लेते थे और रुपये लेकर लोगों का आधार कार्ड बना देते थे।

*हैकरों तक नहीं पहुंच सकी एसटीएफ*

एसटीएफ ने फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश तो कर दिया लेकिन जांच टीम उन हैकरों तक नहीं पहुंच सकी जिन्होंने सॉफ्टवेयर तैयार किया है। जब तक एसटीएफ या दूसरी जांच एजेंसी हैकरों तक नहीं पहुंचती तब तक इस तरह अनधिकृत लोग आधार कार्ड बनाते रहेंगे। खुद आईजी एसटीएफ ने भी इस बात को स्वीकार किया। आईजी ने बताया कि यह जांच की जा रही है कि यह सॉफ्टवेयर किन-किन लोगों के पास है।

*हजारों फर्जी आधार कार्ड बनने की संभावना *

एसटीएफ का दावा है कि गिरफ्तार आरोपियों ने अब तक हजारों की संख्या में लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनाए हैं। लेकिन, इसकी सटीक जानकारी एसटीएफ के पास नहीं है। आईजी अमिताभ यश ने बताया कि आरोपियों से आधार कार्ड बनवाने वाले लोगों को शायद इस बात का अंदाजा ही नहीं होगा कि जिन लोगों से वे आधार कार्ड बनवा रहे हैं, वे अधिकृत ऑपरेटर नहीं हैं। आईजी ने बताया कि अब यूआईडीएआई फर्जी आधार कार्ड निरस्त कर रही है।

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