स्कूलों में मिटेंगी भाषाई दूरियां, NCRT ने किताबों को तैयार करने का शुरु किया काम
अरविंद पांडेय, नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत - श्रेष्ठ भारत अभियान से अब स्कूल भी जुड़ेंगे। जिसके तहत देश भर के स्कूलों में एक-दूसरे राज्यों की भाषाएं और बोलियां भी सिखाई जाएंगी। जो आम बोल चाल से जुड़ी हुई होगी। एनसीईआरटी ने इस दिशा में तेजी से काम शुरु कर दिया है। जिसके तहत वह सभी राज्यों से जुड़ी भाषाओं और बोलियों पर केंद्रित किताबें तैयार कर रही है। जो स्कूलों में अतिरिक्त कार्यकलाप के तौर पर पढ़ाया जाएगा। फिलहाल स्कूलों में इसे अगले सत्र से पढ़ाने की तैयारी है।
मानव संसाधन मंत्रालय से जुड़े सूत्र के अनुसार स्कूलों को इस अभियान से जोड़ने के पीछे मकसद सिर्फ इतना है कि बच्चों को शुरुआत से ही एक-दूसरे राज्यों के करीब लाना है। अभी उन्हें भाषा, संस्कृति आदि के चलते आपस में दूरी लगती है। एनसीईआरटी के मुताबिक किताबों में सभी राज्यों की भाषाओं के करीब 60-60 शब्द और इतने ही वाक्य शामिल किए जा रहे है। यह सभी ऐसे शब्द और वाक्य है, जो एक-दूसरे के बीच बोलने से आत्मीयता का अहसास कराएंगे। योजना के मुताबिक इन किताबों को पढ़ाने की शुरुआत देश भर के केंद्रीय विद्यालयों से होगी। जो कक्षा छह से आठ के बीच टुकड़ों में पढ़ाई जाएगी।
सूत्रों की मानें तो मौजूदा परिस्थितियों में देश के उत्तर और दक्षिण के राज्यों में एक लंबी खाई देखने को मिलती है। जो शिक्षण संस्थानों में कुछ ज्यादा ही दिखाई देती है। इसकी मुख्य वजह राज्यों के बीच लंबी भाषाई दूरी है। यह तब है, जब सभी एक ही देश में है, फिर भी आपस में स्नेह और जुड़ाव की कमी देखने को मिलती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में छात्रनेता सम्मेलन में युवाओं को संबोधित करने के दौरान एक-दूसरे राज्यों से आपसी जुड़ाव की बात कही थी।
इस दौरान उन्होंने युवाओं से रोज डे की जगह विश्वविद्यालयों से किसी राज्य का डे बनाने की बात कही थी। इसी दिशा में संस्कृति मंत्रालय ने एक-दूसरे राज्यों के साथ फूड फेस्टिवल की शुरुआत की है। जिसके तहत दिल्ली स्थित राज्यों के भवनों के एक-दूसरे राज्यों के व्यंजनों को परोसा जा रहा है। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी कहा था कि दूसरी भाषाओं के लिए भी सम्मान बढ़ना चाहिए।