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लखनऊ : UPSSSC की 40 हजार भर्तियों की जांच करवाएगी योगी सरकार, गड़बड़ी का आरोप

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लखनऊ : UPSSSC की 40 हजार भर्तियों की जांच करवाएगी योगी सरकार, गड़बड़ी का आरोप

ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) की भर्तियों की सतर्कता अधिष्ठान से जांच कराने का फैसला किया है। इस आयोग का गठन अखिलेश यादव शासनकाल में हुआ था और इसने करीब 25 हजार भर्तियां की थीं। जबकि 15 हजार के लिए इंटरव्यू प्रक्रिया चल रही थी, जिसे रोक दिया गया था।
योगी ने अपनी सरकार के छह महीने का कार्यकाल पूरा करने के मौकेपर जारी श्वेत पत्र में इस निर्णय का खुलासा किया है। श्वेत पत्र में कहा गया है कि यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन जून-2014 में किया गया था।
इसने मार्च 2017 तक विभिन्न विभागों की विभिन्न श्रेणियों के समूह ग के पदों पर चयन की कार्यवाही की। चयन में अनियमितताओं के बारे में विभिन्न माध्यमों से शिकायतें मिली थीं। श्वेत पत्र में इन शिकायतों के आधार पर आयोग की भर्तियों की सतर्कता अधिष्ठान से जांच कराने के निर्णय की जानकारी दी गई है।

*40 हजार पदों की भर्तियां जांच के दायरे में*

यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के एक अधिकारी बताते हैं कि आयोग ने समूह ‘ग’ के करीब 40 हजार पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले थे। इनमें से करीब 25 हजार का चयन किया जा सका। नई सरकार के आने के समय आयोग में करीब 15 हजार पदों के इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही थी। ये इंटरव्यू रोक दिए गए। आयोग ने लगभग सभी विभागों के समूह ‘ग’ के पदों पर भर्तियों की कार्यवाही शुरू की थी।

*यूपीपीएससी की भर्तियों की सीबीआई जांच की भी वजह बताई*

श्वेत पत्र में युवाओं में कुंठा व हताशा का जिक्र करते हुए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अलावा राज्य लोक सेवा आयोग की भर्तियों में अनियमितता की बात कही गई है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि पीसीएस व लोअर सब ऑर्डिनेट परीक्षा में स्केलिंग के नाम पर एक क्षेत्र विशेष व जाति विशेष के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ाने, पेपर आउट होने केबावजूद परीक्षा निरस्त न करने, व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने, उत्तर पुस्तिका बदलने, आरक्षण संबंधी नियमों का उल्लंघन करने, क्षेत्र व जाति विशेष के अभ्यर्थियों को अधिक अंक दिए जाने की शिकायतें मिली थीं। परीक्षाओं में धांधली के कारण योग्य परीक्षार्थियों के साथ अन्याय हुआ, जिससे उनमें कुंठा व हताशा हुई।
शिकायतों के आधार पर एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक घोषित परीक्षा परिणामों की सीबीआई जांच कराने का निर्णय किया गया।

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