इलाहाबाद : पहले चरण में नौवीं,11वीं में लागू होगा एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम
अमर उजाला, इलाहाबाद । यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में सीबीएसई की तर्ज पर एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने की तैयार कर ली है। इसे एनसीईआरटी से हरी झंडी भी मिल गई है। अब यूपी बोर्ड के अफसर बुधवार को इसे शासन के सामने प्रस्तुत करेंगे। वहां से अनुमोदन होने के बाद पहले चरण में वर्ष 2018 में कक्षा नौ और 11 में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा।
यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल के चार विषय तथा इंटरमीडिएट में 12 विषय एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर तैयार किए हैं। नौ अक्तूबर को अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने यूपी बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव समेत अन्य अफसरों के साथ दिल्ली में एनसीईआरटी के अफसरों से मिलकर पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया। इस दौरान तय किया गया कि पहले चरण में वर्ष 2018 में कक्षा नौ और 11 में इसे लागू किया जाएगा। इन कक्षाओं के लिए तकरीबन 3.50 करोड़ किताबों की आवश्यकता पड़ेगी। इतनी बड़ी संख्या में किताबें एनसीईआरटी उपलब्ध नहीं करा सकता सो उसे रायल्टी देकर कॉपीराइट लेने पर भी सहमति बनी। कॉपीराइट लेने के बाद यूपी बोर्ड निजी प्रकाशकों से किताबें छपवाएगा।
अब एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने के लिए शासन का अनुमोदन होना जरूरी है, सो यूपी बोर्ड के अफसर मंगलवार को पूरे दिन इसकी तैयारी में जुटे रहे। बुधवार को इसे शासन के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। वहां से अनुमति मिलने के बाद सचिव एनसीईआरटी के अफसरों के साथ एमओयू (मेमोरेंड ऑफ अंडरस्टैडिंग) पर हस्ताक्षर करेंगी। अगले वर्ष एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू होने पर नौवीं एवं 11वीं में विद्यार्थी वर्ष 2019 में इसके आधार पर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा देंगे। अफसरों के मुताबिक यह प्रयोग सफल होने के बाद वर्ष 2019 में 10वीं एवं 12वीं में भी एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया होगा।
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के हिसाब से तैयार होने वाली किताबों की कीमतें दो गुनी तक होने की संभावना है। यूपी बोर्ड अभी हाईस्कूल की चार किताबें हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत और गणित तथा इंटरमीडिएट की सात किताबें हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, प्रारंभिक गणित, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान की किताबें प्रकाशकों से छपवाता है। इनकी कीमतें भी बोर्ड तय करता है। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के तहत भी बोर्ड इन विषयों की किताबों का प्रकाशन कराएगा लेकिन एनसीईआरटी की किताबों के पन्नों में यूपी बोर्ड की किताबों की अपेक्षा मैटर दूर-दूर होता है। इसकी वजह से किताबों में पन्ने अधिक होंगे, जिसकी वजह से कीमत भी बढ़ेगी।
सरकार ने यूपी बोर्ड में सीबीएसई की तर्ज पर एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी भले कर ली हो लेकिन प्रदेश में विद्यालयों और शिक्षकों की जो स्थिति है, उससे देखते हुए यह इतना आसान भी नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले ज्यादातर शिक्षक यूपी बोर्ड से पढ़े हुए है। उन्हें एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम की खास जानकारी नहीं हैं।