लखनऊ : 15 लाख कर्मचारियों को मिलना था फायदा, लापरवाही की भेंट चढ़ गई कैशलेस इलाज योजना
ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ । यूपी में 15 लाख कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की घोषणा अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। मई में हेल्थ कार्ड बनाने का काम पूरा करना था, पर अभी तक अधिकतर विभागों ने यह काम शुरू ही नहीं किया है। अभी तक बमुश्किल 15-20 फीसदी कर्मचारियों के ही हेल्थ कार्ड बने होंगे। इससे जहां एक अच्छी योजना दम तोड़ रही है, वहीं कर्मचारियों में भी जबरदस्त गुस्सा है।
हाईकोर्ट ने राज्य कर्मियों और अधिकारियों के गंभीर रोगों के इलाज के लिए राजकीय और चुनिंदा प्राइवेट अस्पतालों में निशुल्क इलाज की सुविधा देने के निर्देश दिए थे। इस पर तत्कालीन अखिलेश सरकार ने योजना का लाभ देने का आदेश जारी कर दिया।
योगी सरकार ने भी इस फैसले को सही मानते हुए योजना का नाम बदलकर ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना’ कर दिया। साथ ही मई-2017 तक सभी पात्र कर्मचारियों का हेल्थ कार्ड बनाने का निर्देश भी जारी किया।
इस बाबत प्रदेश भर में आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी मांगी गई तो बड़ी दयनीय स्थिति सामने आई। जिला पंचायतराज अधिकारी कार्यालय मिर्जापुर की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि उनके जिले में 2074 कर्मियों में से एक का भी हेल्थ कार्ड नहीं बना है। सीएमओ देवरिया से संबद्ध 1120 कर्मचारियों, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी रामपुर के यहां कार्यरत 86 और अधिशासी अभियंता सरयू नहर खंड-4 गोंडा में कार्यरत 62 कर्मियों में से एक का भी हेल्थ कार्ड नहीं बना है।
इनका भी नहीं बना है हेल्थकार्ड
इसी तरह कार्यालय अधिशासी अभियंता रामपुर नहर खंड, जिलाधिकारी कार्यालय बस्ती, जिला समाज कल्याण अधिकारी रामपुर, जिला विकास कार्यालय वाराणसी, जिला विकास अधिकारी गोंडा, सहायक अभियंता लघु सिंचाई सुल्तानपुर, वाणिज्य कर विभाग रायबरेली, जिला विकास अधिकारी मिर्जापुर, सहायक अभियंता लघु सिंचाई रायबरेली, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग वाराणसी, लघु सिंचाई खंड देवरिया, पीडब्ल्यूडी गोंडा और सहायक भूलेख अधिकारी ललितपुर के कार्यालय में तैनात एक भी कर्मचारी का हेल्थ कार्ड नहीं बना है। सिंचाई खंड कन्नौज, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग सुल्तानपुर और अधिशासी अभियंता कार्यालय मिर्जापुर में भी यही स्थिति है।
मामले पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी का कहना है कि कर्मचारियों को उनके हितों से वंचित करने से बड़ा अन्याय कुछ नहीं हो सकता। हम जल्दी ही मुख्य सचिव से मिलकर हेल्थ कार्ड बनाने में उदासीन रवैये की शिकायत करेंगे। इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी तो आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने के अलावा हमारे पास कोई और रास्ता नहीं होगा।