सहारनपुर : डीएलएड कालेजों में प्रवेश के लिए सौदेबाजी? निर्धारित राशि से अधिक फीस लेना बना शगल, जिले के 33 प्राइवेट कालेजों में हो रहे प्रवेश
सहारनपुर : दो वर्षीय डीएलएड प्रशिक्षण के प्रवेश को प्राइवेट कालेज सौदेबाजी पर उतर आए हैं। ऑनलाइन काउंसिलिंग से आवंटित कालेजों में निर्धारित फीस के अलावा 15-20 हजार तथा अल्पसंख्यक कालेजों में सीधे प्रवेश की सीटों पर तीन लाख से ज्यादा वसूले जा रहे हैं। हद तो यह है प्रवेश के समय ही कुछ कालेजों ने सुविधाओं का रेट भी तय कर रखा है।1 परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने की अनिवार्य अर्हता के रूप में दो वर्षीय डीएलएड प्रशिक्षण अनिवार्य है। एक दशक पूर्व केवल जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में यह प्रशिक्षण बीटीसी के नाम से कराया जाता था। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा मान्यता का सिलसिला शुरू करने के बाद प्राइवेट कालेज तेजी से खुले। यहां जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पटनी में 200 सीटों पर प्रवेश किए जाते हैं जबकि 33 कालेजों में 2200 सीटें हैं। इस बार जुलाई में सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद द्वारा प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। प्राइवेट कालेजों में प्रवेश के लिए पहुंचने वाले छात्रों से निर्धारित 39 हजार से कही अधिक राशि वसूली जा रही है। कालेज 15 से 20 हजार तक ज्यादा ले रहे है। जिले में चार अल्पसंख्यक कालेजों को कुल सीटों के सापेक्ष आधी पर स्वयं प्रवेश का अधिकार दिया गया है। यदि किसी कालेज में 50 सीटें है तो 25 सीटें काउंसिलिंग तथा 25 पर सीधे प्रवेश ले सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि सीधे कोटे की 25 सीटों को कालेज संचालक अपनी बपौती मान बैठे हैं। एक सीट को तीन लाख या उससे भी ज्यादा में बेचा जा रहा है। प्रवेश के दौरान ही कई कालेज छात्र से यह भी मालूम कर रहे हैं कि वह नियमित रूप से आएंगे अथवा नहीं। छात्र के पूछने पर अलग-अलग सुविधा के लिए रेट तय कर रखे हैं। बताते हैं कि डीएलएड के संचालित कालेजों में बीएड की कक्षाएं भी चलती हैं। ऐसे में एक ही स्टाफ से कई कालेज काम चलाते है जबकि नियमानुसार बीएड व डीएलएड के लिए अलग-अलग स्टाफ होना चाहिए। तहसील नकुड़, देवबंद व सदर के कई कालेजों में पहुंचे कई छात्रों ने जिला प्रशासन से कालेजों द्वारा अवैध वसूली की शिकायत की है।1निर्धारित फीस1ऑनलाइन में कालेज लॉक करते समय फीस- 2000 रुपये। कालेज में प्रवेश लेते समय 39 हजार। इतनी ही फीस अल्पसंख्यक कालेज भी लेने को बाध्य हैं।1जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान से इस बार नोडल का अधिकार हटा लिया गया है जबकि पूर्व में उन्हें नोडल का अधिकार दिया गया था, जिससे वह कार्रवाई करने में सक्षम थे। यदि कोई कालेज निर्धारित से अधिक फीस ले रहा है तो संबंधित छात्र को इसकी शिकायत जिला प्रशासन को करनी चाहिए।1अनुराधा शर्मा, उप प्राचार्या जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पटनी