लखनऊ : यूपी में सरकारी प्राइमरी स्कूलों के 4570 शिक्षक हो सकते हैं बर्खास्त, जानिए क्या है वजह
लाइव हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । यूपी में फर्जी अंकपत्रों के सहारे सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के पद पर भर्ती हुए 4570 की बर्खास्तगी तय है। इन शिक्षकों ने डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से बीएड के फर्जी डिग्री हासिल की थी। एसआईटी की जांच में इसका खुलासा हुआ है। इन शिक्षकों की सूची जिलों को भेज दी गई है।
इन शिक्षकों ने उपरोक्त विवि से 2004-05 में बीएड की डिग्री हासिल की थी। बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह ने बताया कि महाविद्यालयवार फर्जी व टेम्पर्ड छात्र-छात्राओं की नामवार सूची विभाग को मिल गई है, जिसे सभी जिलों को भेज दिया गया है। जिलों में शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एनसीटीई ने डा. भीमराव अम्बेडकर विवि आगरा को 2004-05 में बीएड के लिए 82 महाविद्यालयों के 8150 छात्रों के प्रवेश की अनुमति दी गई थी। लेकिन टैबुलेशन चार्ट में 84 महाविद्यालयों के 12472 छात्रों के परिणाम अंकित हैं जबकि वहां के कागजों में 8030 छात्रों के प्रवेश ही अंकित थे। इनमें केहरीमल गौतम स्मारक महाविद्यालय, नगला सरुआ अलीगढ़ और जयमूर्ति कॉलेज, नगला बाल सिरसागंज, फिरोजाबाद को बीएड सत्र संचालित करने के लिए न तो मान्यता दी गई और न ही सम्बद्धता। इसके बावजूद यहां से ऊंचे प्राप्तांकों वाली 147-147 फर्जी अंकतालिकाएं जारी कर दी गईं। इसे विवि ने अपने टैबुलेशन चार्ट में भी दिखाया है।
एसआईटी की टीम ने विवि से छात्रों की जो मार्क्स फाइल बरामद की उससे 8899 छात्रों के अंकों का टैबुलेशन चार्ट में अंकित अंकों से मिलान किया गया तो उसमें 1053 छात्रों के अंकों में टेंपरिंग यानी अंक वृद्धि करना पाया गया। इनकी दूसरी व तीसरी श्रेणी को बदल कर प्रथम श्रेणी में करते हुए 80 से 82 फीसदी तक नंबर दिए गए।
एसआईटी ने जो साक्ष्य इकट्ठे किए उसके मुताबिक विवि ने 3517 छात्रों का अधिक परीक्षा परिणाम अंकित कर दिया और 1053 छात्रों को फर्जी अंकतालिकाएं बांटी। इस तरह कुल 4570 छात्रों का समायोजन विवि के टैबुलेशन चार्ट में किया गया जो इस समय सेवायोजित हैं। इन शिक्षकों खिलाफ कार्रवाई तय है।