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इलाहाबाद : परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हेतु एनसीटीई की अधिसूचना नहीं मानने पर हाईकोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा से पूछा है कि वह बताएं कि कौन सी डिग्रियां सहायक अध्यापक के लिए मान्य होंगी

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इलाहाबाद : परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हेतु एनसीटीई की अधिसूचना नहीं मानने पर हाईकोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा से पूछा है कि वह बताएं कि कौन सी डिग्रियां सहायक अध्यापक के लिए मान्य होंगी

अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद । परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति हेतु एनसीटीई की अधिसूचना नहीं मानने पर हाईकोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा से पूछा है कि वह बताएं कि कौन सी डिग्रियां सहायक अध्यापक के लिए मान्य होंगी। कोर्ट ने सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर बताने को कहा है कि सरकार किन डिग्रियों या प्रमाणपत्रों को सहायक अध्यापक नियुक्ति के लिए वैध मानती है। मामले की अगली सुनवाई 31 अक्तूबर को होगी। पल्लवी और मनीष कुमार पांडेय तथा अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार सुनवाई कर रहे हैं।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण ने अरुणांचल प्रदेश से डीएलएड में दो वर्षीय डिप्लोमा किया है। इस डिप्लोमा को एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है। याचीगण ने सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए सिद्धार्थनगर जिले में काउंसलिंग में हिस्सा लिया था, वह टीईटी भी उत्तीर्ण है तथा न्यूनतम अंक से अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद चयन सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया। इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने सरकार को याचीगण के मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया, मगर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया।

दो बार अवमानना याचिका भी दाखिल की गई। सरकार ने यह कहते हुए नियुक्ति देने से इंकार कर दिया कि एनसीटीई की अधिसूचना राज्य सरकार के कानून और नियमावली पर प्रभावी नहीं होगी। याची का कहना था कि सुप्रीमकोर्ट ने भी माना है कि 23 अगस्त 2010 की एनसीटीई की अधिसूचना बाध्यकारी है। इसलिए सरकार इसकी उपेक्षा नहीं कर सकती है। कोर्ट ने सचिव को बताने के लिए कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार किन डिग्रियों और प्रमाणपत्रों को सहायक अध्यापक के लिए वैध मानती है।

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