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इलाहाबाद : नकल विहीन हुई तो बढ़ेगी परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या, हिंदी-सामान्य हिंदी तथा अंग्रेजी की विषय वर्गवार अलग-अलग परीक्षा कराने का दिखेगा असर

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इलाहाबाद : नकल विहीन हुई तो बढ़ेगी परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या, हिंदी-सामान्य हिंदी तथा अंग्रेजी की विषय वर्गवार अलग-अलग परीक्षा कराने का दिखेगा असर

ब्यूरो/अमर उजाला, इलाहाबाद । परीक्षा केंद्रों की संख्या सीमित रखने, वित्त विहीन विद्यालयों में कम केंद्र बनाने से भी कम हो सकते हैं विद्यार्थी प्रदेश सरकार ने माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की वर्ष 2018 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा नकल विहीन कराने का दावा किया है। इसी वजह से इंटरमीडिएट में हिंदी एवं सामान्य हिंदी की परीक्षा अलग-अलग और अंग्रेजी की परीक्षा मानविकी, वाणिज्य एवं व्यावसायिक वर्ग तथा विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों की अलग-अलग कराने का निर्णय लिया है। इसके साथ वित्त विहीन विद्यालयों में कम परीक्षा केंद्र बनाने का फैसला हुआ है, क्योंकि ज्यादातर वित्त विहीन विद्यालय नकल के लिए बदनाम है। ऐसे में सरकार के वादे के मुताबिक परीक्षा नकल विहीन हुई तो उसे छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी पिछले वर्ष की तुलना में इजाफा होना तय है।

16 मार्च से 21 अप्रैल वर्ष 2017 के बीच चली परीक्षा में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में कुल 60 लाख 61 हजार 34 छात्र-छात्राएं शामिल हुए। इसमें हाईस्कूल में 34 लाख चार हजार 715 तथा इंटर की परीक्षा में विद्यार्थियों की संख्या 26 लाख 56 हजार 319 थी। इसमें से कुल पांच लाख 35 हजार 494 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा छोड़ दी। सरकार के निर्देश पर नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए यूपी बोर्ड ने जिन तरह से कार्यक्रम तैयार किया है, उससे यह आशंका जताई जा रही है कि परीक्षा छोड़ने वालों और असफल होने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

इसके पीछे मुख्य कारण हिंदी-सामान्य हिंदी तथा अंग्रेजी की परीक्षा अलग-अलग विषय वर्गवार विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग कराना और परीक्षा केंद्रों की संख्या कम करने के निर्णय को माना जा रहा है। ऐसे में नकल विहीन परीक्षा कराने का सरकार का दावा सफल हुआ तो वर्ष 2018 की परीक्षा छोड़ने वालों का आंकड़ा सात लाख के पार पहुंच सकता है।

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