इलाहाबाद : वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षक, कर्मियों ने मांगा न्यूनतम वेतन, प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या को सौंपा गया दो सूत्रीय ज्ञापन, कहा, चार लाख शिक्षक एवं कर्मियों को नहीं मिल रहा न्यूनतम मेहनताना
ब्यूरो/अमर उजाला, इलाहाबाद । प्रदेश के वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार से कुशल श्रमिक मजदूरी प्रदान करने की मांग की है। इस संबंध में शैक्षिक महासभा के पदाधिकारियों ने रविवार को यहां आए प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या को ज्ञापन सौंपा।
महासभा के अध्यक्ष सुनील पांडेय, मुख्य महासचिव डॉ.अनिल श्रीवास्तव, संरक्षक विद्याधर द्विवेदी एवं डॉ.प्रमोद शुक्ला की ओर से मंत्री को दिए गए दो सूत्रीय ज्ञापन में वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को श्रम विभाग के नियमानुसार न्यूनतम वेतन (समान कार्य के लिए समान वेतन) एवं सुरक्षा प्रदान की जाए तथा सेवानिवृत्त शिक्षकों से शिक्षण कार्य न लेकर युवाओं को प्राथमिकता दी जाए। ज्ञापन में कहा गया कि प्रदेश की 87 प्रतिशत शिक्षा व्यवस्था का जिम्मा वित्त विहीन विद्यालयों के कंधों पर है। इन विद्यालयों से निकलने वाले मेधावी प्रदेश का नाम राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रहे हैं लेकिन खेद का विषय है कि 1986 से आज तक इन विद्यालयों में कार्यरत तकरीबन चार लाख शिक्षक एवं कर्मचारियों को न्यूनतम मेहनताना भी नहीं मिल रहा।
राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2001 में जारी राजाज्ञा के अनुरूप इन शिक्षकों एवं कर्मचारियों को कुशल श्रमिक के बराबर वेतन देना प्रस्तावित है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर प्रबंध तंत्र अपनी मजबूरी के चलते यह भार वाहन करने के सक्षम नहीं है। ज्ञापन में कहा गया कि ऐसी स्थिति में सरकार अपने स्तर से न्यूनतम कुशल श्रमिक मजदूरी 24000 रुपये प्रतिमाह का वेतन भार नियमों में संशोधन करके अपने जिम्मे लेने की व्यवस्था सुनिश्चित करे।