लखनऊ : जेल में बंद सरगना चला रहा था फर्जी अंकपत्र-डिग्री बनाने का गिरोह, चार जालसाज गिरफ्तार
ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ । पुलिस ने 10वीं, 12वीं, बीए, बीकॉम, बीएससी, इंजीनियरिंग और लॉ के फर्जी अंकपत्र बनाकर पांच से दस हजार रुपये में बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। रविवार रात हीवेट रोड स्थित सेठी कॉम्पलेक्स से पकड़े गए गिरोह के चार सदस्यों से फर्जी अंकपत्र और डिग्रियों समेत लैपटॉप, प्रिंटर समेत काफी सामान बरामद किया गया है। गाजियाबाद निवासी गिरोह का सरगना इस समय राजस्थान की बाड़मेर जेल में है। वहीं से वह बेटे और भतीजे की मदद से गिरोह का संचालन कर रहा है। पुलिस बेटे और भतीजे की तलाश कर रही है।
एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि क्राइम ब्रांच व कैसरबाग पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपियों में हुसैनगंज के माल एवेन्यू रजानगर निवासी मो. खालिद कादरी, मथुरा के शेरगढ़ बसई बुजुर्ग निवासी अमित सिसोदिया, दरभंगा बिहार के शाही अहमद, हरदोई के सुरसा पचलाई निवासी विकास श्रीवास्तव शामिल है। यह सभी जालसाजी कर फर्जी मार्कशीट बनाने का काम करते हैं।
*सरकारी गजट दिखाकर पंजीकरण के नाम पर वसूलते थे रकम*
एसएसपी के मुताबिक, जालसाज प्रदेश सरकार का फर्जी गजट दिखाकर नवयुवकों को भ्रमित करते थे। उन्हें बताते थे कि संस्थान से संबद्ध स्कूलों से पढ़ाई करने से आसानी से हाईस्कूल व इंटर की मार्कशीट मिल जाएगी। जालसाज हाईस्कूल, इंटर के अलावा बीए, बीएससी, बीकॉम, इंजीनियरिंग व लॉ की भी फर्जी डिग्रियां बनाते थे।
रकम वसूलने के बाद लोगों को भरोसा दिलाने केलिए अंकपत्रों और प्रमाण पत्रों को वेबसाइट पर भी अपलोड करते थे, ताकि व आसानी से डाउनलोड कर सकें। एक मार्कशीट के लिए कम से कम पांच से 10 हजार रुपये की वसूली की जाती थी। इसके अलावा मन मुताबिक नंबर और श्रेणी दिलाने केलिए अलग से मुंहमांगी रकम लेते थे।
*रोज बदलते थे वेबसाइट का पासवर्ड*
एएसपी क्राइम ब्रांच दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि जालसाजों ने लोगों को झांसा देने केलिए सभी संस्थानों की वेबसाइट बना रखी थी। इसमें राजकीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान लखनऊ, उत्तर प्रदेश www.riosup.org, बोर्ड ऑफ हॉयर सेकेंडरी एजुकेशन दिल्ली, www.bhsedelhigov.in, राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड उत्तर प्रदेश लखनऊ wwsbmeup.org, राज्य मुक्त विद्यालय परिषद उत्तरप्रदेश लखनऊ www.rmpup.in, भारतीय विद्यालयी शिक्षा संस्थान www.iise.edu.in शामिल है। इन वेबसाइटों से नवयुवकों को फर्जी तरीके से विज्ञापन निकालकर प्रवेश कराते थे। इसके बाद उनकी परीक्षा लेकर अंकपत्र, प्रमाण पत्र जारी करते। वेबसाइट का पासवर्ड रोज बदला जाता था।
*एक कमरे में चल रहे थे आधा दर्जन संस्थान*
इंस्पेक्टर कैसरबाग धीरेंद्र कुमार उपाध्याय के मुताबिक सेठी कॉम्प्लेक्स के एक कमरे में जालसाज आधा दर्जन संस्थान और बोर्ड चलाते थे। यह जरूरत के हिसाब से खुद ही अधिकारी बन जाते थे। इनका पद संस्थान के साथ ही बदल जाता था। वहीं, सभी के नाम से अलग-अलग हस्ताक्षरयुक्त प्रमाण पत्र भी जारी करते थे। पकड़े गए आरोपियों में एक खुद को राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान का सचिव बता रहा था, हालांकि जांच पड़ताल में वह फर्जी निकला।
*बाड़मेर की जेल में है गिरोह का सरगना*
गिरोह का मुखिया गाजियाबाद के दादरी निवासी मनीष प्रताप सिंह उर्फ मांगेराम जालसाजी के केस में राजस्थान केबाडमेर जेल में बंद है। वहीं से वह गैंग चला रहा है। इस समय उसका बेटा सत्येंद्र प्रताप सिंह उर्फ भीम एवं भतीजा नकुल प्रताप सिंह की तलाश की जा रही है।
*गिरोह से बरामद सामान*
भारतीय विद्यालयी शिक्षा संस्थान के 170 अंकपत्र, राजकीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान लखनऊ उत्तर प्रदेश के 140, बोर्ड ऑफ हॉयर सेकेंडरी एजुकेशन दिल्ली के 35, राज्य मुक्त विद्यालय परिषद के 24, उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद उत्तर प्रदेश के 16 अंकपत्र बरामद किए गए हैं। इसके अलावा कूट रचित 10 सरकारी गजट, महाकौशल आयुर्वेदिक बोर्ड जबलपुर के पांच, राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड उत्तरप्रदेश के पांच, केन्द्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षण संस्थान के पांच प्रमाण पत्र भी मिले। अंकपत्र बनाने में प्रयोग होने वाले 800 पेपर, कई बोर्ड की 184 मुहरें, तीन लैपटॉप, पांच स्कैनर व प्रिंटर, एक सीपीयू, अंक पत्र बनाने में प्रयोग की जाने वाली इंक और 12 पेपरकटर भी बरामद किए गए हैं।
*इस टीम ने किया खुलासा*
गिरोह का खुलासा करने में इंस्पेक्टर क्राइम ब्रांच अरुण कुमार मिश्रा, विमलेश कुमार सिंह, इंस्पेक्टर कैसरबाग धीरेन्द्र कुमार उपाध्याय, एसआई संजय द्विवेदी, आर्दश कुमार सिंह, उदय प्रताप सिंह, राजीव यादव, कांस्टेबल आनंद प्रकाश सिरोही, दीपक कुमार, विशाल गुप्ता, विशाल सिंह, विजय कुमार, आशीष यादव, अब्दुल नाजिम, प्रभात कुमार, कप्तान सिंह, महाराज सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एसएसपी ने इस टीम को नगद इनाम देने की घोषणा की।