इलाहाबाद : दो सदस्यों के इस्तीफा न देने से फंसा पेच
अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद । ये तो साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के नए अध्यक्ष और सदस्यों के पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे जाने के बाद नए आयोग के गठन की उम्मीद नहीं रह गई है। अब सवाल उठ रहे हैं कि जब नए आयोग के गठन के लिए शासन स्तर पर हुई बैठक में निर्णय लिया जा चुका था तो अचानक उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति की जरूरत क्यों पड़ी। दरअसल, आयोग के दो सदस्यों ने इस्तीफा ही नहीं दिया और इसकी वजह से विलय का काम अटक गया। भर्तियां ठप होने के बाद लगातार धरना-प्रदर्शन होने लगे और सरकार को दबाव में आयोग में नए अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लेना पड़ा।
प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के दौरान उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर प्रभात मित्तल तैनात थे, जबकि सदस्यों के छह में से चार पदों पर डॉ. शाहीन चिश्ती, शशिकांत पांडेय, डॉ. ओंकारनाथ मिश्र एवं डॉ. वज्रपाल सिंह की नियुक्ति थी। सरकार ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से आयोजित भर्ती परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी। इसके बाद आयोग और बोर्ड का विलय कर एक नई भर्ती संस्था के गठन की तैयारी होने ली। इस बीच माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।
वहीं, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रभात मित्तल और सदस्य डॉ. ओंकारनाथ मिश्र एवं डॉ. वज्रपाल सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया, लेकिन डॉ. शाहीन चिश्ती एवं शशिकांत पांडेय ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। उनके इस्तीफा न देने से आयोग में सदस्यों के छह में से चार पद ही खाली हो सके। दोनों सदस्यों के इस्तीफा न देने से आयोग और बोर्ड का विलय कर नई भर्ती संस्था के गठन में पेच फंस गया। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के जिम्मे 10 हजार भर्तियां अधर में लटक गईं, जिनके लिए तकरीबन 13 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन कर रखे थे। भर्तियां पुन: शुरू किए जाने की मांग को लेकर अभ्यर्थी लगतार धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। आंदोलन तेज होता जा रहा था। माना जा रहा है कि इसी दबाव में सरकार को आयोग में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लेना पड़ा।
प्रदेश के डिग्री कॉलेजों को जल्द ही नए शिक्षक मिल जाएंगे। शासन ने आयोग के एक अध्यक्ष एवं चार सदस्यों के पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन की आखिरी तिथि 16 नवंबर निर्धारित की है। सदस्यों के दो पदों पर इस्तीफा नहीं हुआ है, सो छह में चार पदों के लिए ही आवेदन मांगे गए हैं। आयोग में वर्तमान में विज्ञापन संख्या 47 के तहत 1150 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती परीक्षा लंबित पड़ी है। विज्ञापन संख्या 48 के तहत 286 प्राचार्यों की नियुक्ति भी की जानी है। इसके अलावा विज्ञापन संख्या 46 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 1652 पदों में से तकरीबन 60 फीसदी पदों पर नियुक्तियां हो चुकी हैं लेकिन 40 फीसदी पद इंटरव्यू प्रक्रिया पूरी न होने के कारण रिक्त पड़े हैं। अगर समय रहते आयोग में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्तियां हो जाती हैं तो प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की कमी जल्द दूर हो जाएगी।