इलाहाबाद : शिक्षा की मुख्यधारा से विरत छात्रों को जोड़ने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (एनआइओएस) अब सफल लोगों की कहानियां सुनाएगा।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शिक्षा की मुख्यधारा से विरत छात्रों को जोड़ने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (एनआइओएस) अब सफल लोगों की कहानियां सुनाएगा। इनमें ऐसे छात्र होंगे जो शिक्षा के अभाव में जीवन में कुछ कर नहीं पा रहे थे, लेकिन मुक्त शिक्षा प्रणाली के माध्यम से इन लोगों ने 10वीं, 12वीं एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रमों को आधार बनाकर सफल जीवन की शुरुआत की है।
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षण संस्थान ने देश में स्थापित ऐसे दर्जनों लोगों की सूची वेबसाइट पर जारी की है। लगभग 80 प्रतिशत अस्थि विकलांग हरिथ स्वरूपा का जीवन एनआइओएस के माध्यम से बदला। इन्होंने 60 प्रतिशत से अधिक अंकों के साथ 10वीं की परीक्षा पास की। इनमें जीवन में आगे बढ़ने की ललक साफ दिखाई देती है। इसी प्रकार बेरोजारी का दंश झेल रहे दर्शन सिंह ने यहां पर एयरकंडीशन और रेफ्रिजिरेशन मेनटेनेंस कोर्स किया और अपना रोजगार शुरू किया। अजय कुमार ने इलेक्ट्रिकल कोर्स में दाखिला लिया और प्रमाणपत्र हासिल कर सरकारी नौकरी प्राप्त करने के प्रयास में शामिल हो गए। इसी प्रकार ओपेन डिस्टेंस कोर्स के माध्यम से अमनज्योत सिंह, नितिन शर्मा, जुबीन शेख आदि ने एनआइओएस के प्रमाणपत्रों के माध्यम से शिक्षा से मुख्य धारा से जुड़े। इसी प्रकार दिल्ली के ड्रापआउट चार्ल्स थॉमस ने यहां से एकल विषय के अंतर्गत 12वीं गणित की परीक्षा पास की। इसकी आधार पर आगे इलेक्ट्रानिक्स प्रमाणपत्र में दाखिला लिया। 1993 में शिक्षा छोड़ चुके जसपाल सिंह मुक्त विद्यालयी शिक्षा के माध्यम से जुडे़ और आगे की शिक्षा प्राप्त की। निम्न आर्थिक स्थिति के कारण एलेक्स जोसफ अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे थे। सेल्स मैन थे, और डोर टू डोर फूल और इंजनऑयल की बिक्री करते थे। 40 वर्ष की आयु के बाद एनआइओएस के माध्यम से इन्होंने शिक्षा अर्जित की और आज ग्रेजुएट हो चुके हैं। क्षेत्रीय निदेशक आलोक कुमार गुप्त का कहना है कि एनआइओएस के पाठ्यक्रम बिना नियमित कक्षाओं के पूरे किए जा सकते हैं। इनकी मान्यता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से प्राप्त होने के कारण दुनियाभर में कही भी प्रयोग किया जा सकता है।
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