इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को वितरित होने वाले जूते-मोजों पर कई जिलों में सैंपल टेस्टिंग का पेंच फंसा
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को वितरित होने वाले जूते-मोजों पर कई जिलों में सैंपल टेस्टिंग का पेंच फंसा है। वितरण कार्य में देरी पर शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने नाराजगी जताई है। साथ ही निर्देश दिया है कि यह कार्य प्राथमिकता पर पूरा किया जाए। बीएसए को यह भी निर्देश दिया है कि सैंपल टेस्टिंग संतोषजनक न होने पर पूरा व्यय आपूर्तिकर्ता को ही वहन करना होगा। 1शिक्षा निदेशक बेसिक ने बीते 21 अगस्त को ही बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किया था कि कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को निश्शुल्क जूते व मोजे समय पर वितरित कराएं जाएं। इसमें क्रयादेश, डिलवरी, सत्यापन, टेस्टिंग व भुगतान के भी अलग से निर्देश हुए। इसके विद्यालयवार वितरण का जिम्मा खंड व नगर शिक्षाधिकारी को सौंपा गया। इसके बाद समीक्षा में पाया गया कि कई जिलों में आपूर्ति होने के बाद भी उसका वितरण नहीं हो पा रहा है। बीएसए का तर्क है कि सैंपल टेस्टिंग पूरी न होने के कारण वितरण का कार्य रुका है। इस पर फिर निर्देश हुआ है कि यह कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से पूरा किया जाए। यदि सैंपल टेस्टिंग की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं होती है तो आपूर्तिकर्ता 15 दिन के अंदर विकास खंड व नगर क्षेत्र के विद्यालयों से उसे प्राप्त करे, उसके सापेक्ष उतनी ही संख्या में फिर जूते-मोजे उपलब्ध कराएं जाएं। इसकी पूरी जिम्मेदारी आपूर्तिकर्ता की होगी और सारा व्यय उसे ही वहन करना होगा। अविलंब सभी जिलों में वितरण पूरा करने को कहा गया है।राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को वितरित होने वाले जूते-मोजों पर कई जिलों में सैंपल टेस्टिंग का पेंच फंसा है। वितरण कार्य में देरी पर शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने नाराजगी जताई है। साथ ही निर्देश दिया है कि यह कार्य प्राथमिकता पर पूरा किया जाए। बीएसए को यह भी निर्देश दिया है कि सैंपल टेस्टिंग संतोषजनक न होने पर पूरा व्यय आपूर्तिकर्ता को ही वहन करना होगा। 1शिक्षा निदेशक बेसिक ने बीते 21 अगस्त को ही बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किया था कि कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को निश्शुल्क जूते व मोजे समय पर वितरित कराएं जाएं। इसमें क्रयादेश, डिलवरी, सत्यापन, टेस्टिंग व भुगतान के भी अलग से निर्देश हुए। इसके विद्यालयवार वितरण का जिम्मा खंड व नगर शिक्षाधिकारी को सौंपा गया। इसके बाद समीक्षा में पाया गया कि कई जिलों में आपूर्ति होने के बाद भी उसका वितरण नहीं हो पा रहा है। बीएसए का तर्क है कि सैंपल टेस्टिंग पूरी न होने के कारण वितरण का कार्य रुका है। इस पर फिर निर्देश हुआ है कि यह कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से पूरा किया जाए। यदि सैंपल टेस्टिंग की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं होती है तो आपूर्तिकर्ता 15 दिन के अंदर विकास खंड व नगर क्षेत्र के विद्यालयों से उसे प्राप्त करे, उसके सापेक्ष उतनी ही संख्या में फिर जूते-मोजे उपलब्ध कराएं जाएं। इसकी पूरी जिम्मेदारी आपूर्तिकर्ता की होगी और सारा व्यय उसे ही वहन करना होगा। अविलंब सभी जिलों में वितरण पूरा करने को कहा गया है।540 विकास खंडों की निरीक्षण आख्या शून्य 1परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के निरीक्षण की आख्या हर माह की पहली व 15 तारीख को शाम पांच बजे तक पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश हैं। अफसर इसका गंभीरता से अनुपालन नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि एक जुलाई से 26 अक्टूबर तक प्रदेश के 540 विकासखंडों की निरीक्षण आख्या पोर्टल पर शून्य है। शिक्षा निदेशक बेसिक ने बीएसए को निर्देश दिया है कि एक नवंबर तक यदि सभी विकासखंडों की निरीक्षण आख्या अपलोड न हुई तो यह माना जाएगा वहां निरीक्षण नहीं किया जा रहा है और उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी।