इलाहाबाद : साढ़े पांच हजार पदों का रिजल्ट घोषित करने की तैयारी
अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद । उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग इस साल दिसंबर के अंत तक साढ़े पांच हजार से अधिक पदों के लिए हुई अलग-अलग परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने की तैयारी में हैं। ये परिणाम काफी समय से लंबित हैं। सभी परीक्षाएं पिछली सरकार के कार्यकाल में कराई गई थीं लेकिन इनके परिणाम अटके रहे।
पीसीएस परीक्षा-2016 का परिणाम अब तक घोषित नहीं किया गया जबकि 2017 की पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा हो चुकी है। पीसीएस-2016 के तहत 233 पदों पर नियुक्ति होनी है। इसके अलावा सम्मिलित राज्य अभियंत्रण सेवा-2013 के तहत अवर अभियंता के 3222 पदों और सहायक अभियंता के 952 पदों के लिए हुई परीक्षा का परिणाम भी लंबित पड़ा हुआ है। लोअर-2015 के तहत 635 पदों के लिए हुई परीक्षा का परिणाम भी अब तक लंबित है। इस परीक्षा के माध्यम से कई विभागों के लिए इंस्पेक्टरों की नियुक्ति की जानी है। इसके लिए तो आयोग में नगर विकास मंत्री, नगर विकास के प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव का भी फोन आ चुका है। शासन का दबाव है कि परिणाम जल्द घोषित किया जाए। आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि सभी लंबित परीक्षा परिणामों को इस साल दिसंबर के अंत तक जारी किए जाने की योजना है। हो सकता है कि इसमें कुछ और समय लग जाए। लंबित परीक्षा परिणामों को जारी किए जाने के बाद आगामी परीक्षाओं का आयोजन समय से किया जा सकेगा और परीक्षा परिणाम भी समय से जारी किए जा सकेंगे।
इलाहाबाद। अपर निजी सचिव (एपीएस)-2013 का परीक्षा परिणाम भी अटका हुआ है। दरअसल, इसकी लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का कंप्यूटर टेस्ट होना है, जो अब तक लंबित है। एपीएस-2010 का परिणाम भी आयोग ने हाल ही में जारी किया है। एपीएस परीक्षा को लेकर तमाम विवाद सामने आते रहे हैं। आयोग नहीं चाहता कि इस बार कोई विवाद हो, सो कंप्यूटर टेस्ट से पहले आयोग विशेषज्ञों की सलाह लेना चाहता है। विशेषज्ञों की सलाह के इसमें आवश्यक संशोधन किया जाएगा और फिर कंप्यूटर टेस्ट का आयोजन कर परिणाम जारी किया जाएगा। एपीएस-2013 के तहत 176 पदों पर नियुक्तियां होनी हैं।
आरओ-एआरओ परीक्षा-2016 का प्रशभनपत्र व्हाट्स एप पर वायरल होने के आरोप की सीबीसीआईडी जांच कर रही है। जांच अब तेजी से आगे बढ़ रही है। पिछले दिनों सीबीसीआईडी की ओर से कुछ बिंदुओं पर आयोग से आख्या मांगी गई थी। इस पर आयोग ने आख्या उपलब्ध करा दी है।
आरओ-एआरओ परीक्षा-2014 का परिणाम जारी होने के बाद अभ्यर्थियों ने परिणातम में धांधली का आरोप लगाया था। अभ्यर्थियों का कहना था कि किसी को शून्य अंक मिला और किसी को पूरे नंबर दे दिए गए। शिकायत पर आयोग के सचिव जगदीश ने परीक्षा नियंत्रण से इसकी जांच कराई। जांच पूरी होने के बाद पता चला कि जिन अभ्यथियों को जीरो अंक मिला है, उन्होंने ओएमआर में सिरीज नहीं भरी थी, सो उनकी कॉपियों का मूल्यांकन नहीं हुआ। इसके अलावा पूरे अंक मिलने की भी रैंडम जांच हुई और देखा गया कि अभ्यर्थियों ने सभी प्रशभन हल किए हैं और इसी वजह से उन्हें पूरे अंक मिले हैं।
पीएसएस परीक्षा की कॉपियां जांचने वाले परीक्षकों का मानदेय जल्द ही बढ़ सकता है। इसके लिए आयोग की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। वर्तमान में परीक्षकों को 1500 रुपये मानदेय मिलता है। इसमें 50 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। आयोग के अफसरों को उम्मीद है कि शासन जल्द ही इसके लिए अपनी मंजूरी दे देगा।