देहरादून : टीचर को मिलेगी आवासीय सुविधा, शिक्षा मंत्री का बयान विभाग कई अन्य योजनाओं के लिए भी बना रहा प्लानिंग
- शिक्षा विभाग स्कूलों में बेसिक सुविधाओं की कमी को पूरा करने के लिए कर रहा प्लानिंग
- शिक्षा मंत्री का बयान विभाग कई अन्य योजनाओं के लिए भी बना रहा प्लानिंग
शिक्षा विभाग ने दूरस्थ सरकारी स्कूलों में शिक्षा के हालात सुधारने के लिए नई योजना पर काम करना शुरू कर दिया है. विभाग दूरस्थ सरकारी स्कूलों के टीचर्स के लिए आवासीय सुविधा देने के प्लान पर काम कर रहा है. इधर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बताया कि विभाग सरकारी स्कूलों की स्थिति को सुधारने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहा है.
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूल
बेसिक सुविधाओं जैसे फर्नीचर, पीने का पानी, स्कूल की बिल्डिंग, टीचर की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए शिक्षा विभाग ने अपने स्तर से कई योजनाओं पर काम करने की प्लानिंग तैयार कर ली है. जिसमें सबसे महत्वूपर्ण बिंदु रिमोट एरिया में स्थित सरकारी स्कूलों में टीचर की कमी को देखते हुए आवासीय सुविधा देने का प्लान है. आपको बता दें कि विभाग के लिए इस वक्त सबसे बड़ी समस्या दूरस्थ इलाकों में शिक्षकों की तैनाती करना है. दरअसल ऐसे स्कूलों में सुविधाएं देने के बाद भी टीचर जाना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में अगर इन स्कूलों में आवासीय सुविधाएं प्रोवाइड कराई जाती हैं तो दूरस्थ इलाकों के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को भी पूरा किया जा सकता है. शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने स्वीकार किया कि विभाग ऐसी योजनाओं पर काम कर रहा है. जिससे स्कूलों की स्थिति सुधारी जा सके.
क्7 हजार स्कूल में बेसिक सुविधाएं ही नहीं
सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. सीएसआर की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के करीब म् लाख स्कूल फर्नीचर की कमी से जूझ रहे हैं. विभाग की मानें तो जबकि क्7 हजार स्कूल में बेसिक सुविधाएं ही नहीं है. जिनको हल करना शिक्षा विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. दूरस्थ सरकारी स्कूलों में टीचर्स की कमी को पूरा करने के लिए आवासीय सुविधा देने का प्लान कब तक धरातल पर उतरता है और इससे स्कूलों में टीचर की कमी पूरी होती भी है या नहीं ये बड़ा सवाल है.
क्7 हजार स्कूलों में नहीं है बेसिक सुविधाएं.
क्800 टीचर्स की कमी है दूरस्थ प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में.
फर्नीचर की कमी
प्राथमिक स्तर -लगभग फ् लाख
उच्च प्राथमिक स्तर -लगभग 70 हजार
माध्यमिक स्तर - करीब ख् लाख ख्भ् हजार